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बहु विवाह योग के कारण वैवाहिक रिश्ते ज्यादा नहीं चलते -मनीष साईं

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बहु विवाह योग के कारण वैवाहिक रिश्ते ज्यादा नहीं चलते -मनीष साईं आपने देखा होगा कि कई व्यक्तियों के रिलेशन स्थाई नहीं हो पाते वैवाहिक जीवन भी ज्यादा दिन नहीं चलता एक के बाद एक शादियां टूटती है।ज्योतिष शास्त्र मैं इसका स्पष्ट उल्लेख है ऐसा क्यों होता है उसके कारण क्या है? यह जानना बहुत जरूरी है। ज्योतिष वास्तु एवं तंत्र गुरु श्री मनीष साईं जी के अनुसार आइए जानते हैं बहु विवाह योग कैसे बनता है और उससे बचने के उपाय क्या हैं। ▪चन्द्र एवं शुक्र बलि होकर किसी भी भाव में एकसाथ स्थित हो तो ऐसे जातक के बहुत पत्नियाँ होगी। ▪लग्नेश उच्च अथवा स्वराशीगत केंद्र भावों में स्थित हो तो ऐसे जातक के बहुत विवाह होते है। ▪ लग्न में एक ग्रह उच्च राशी में स्थित हो तो भी ऐसे जातक से बहुत विवाह होते है। ▪ लग्नेश और चतुर्थ भाव का अधिपति केन्द्रीय भावों में स्थित हो तो भी ऐसे जातक के बहुत से विवाह होते है। ▪ शनि सप्तमेश हो तथा वह पापग्रह से युत हो तो ऐसे जातक से बहुत से विवाह होते है। ▪ बाली शुक्र की द्रष्टि सप्तम भाव पर हो तो भी ऐसे जातक से बहुत से विवाह होते है। ▪ कुंडली में बहु विवाह योग ब