कुंडली नहीं है तो रमल विद्या से जाने अपना भविष्य- मनीष साईं
सृष्टि के निर्माण से ही ज्योतिष को वेद भगवान का नेत्र कहा जाता है हमारे चारों वेदों की व्याख्या करने वाले जो 6 शास्त्र हैं उनमें एक ज्योतिष भी है। ज्योतिष के तीन अंग हैं। (1) फलित (2 गणित) (3) सिद्धान्त। ज्योतिष के द्वारा चराचर जगत के समस्त प्राणियों एवं पदार्थो के भूत, भविष्य, वर्तमान, रुप, गुण, स्वभाव, आयु तथा हर प्रकार के शुभ अशुभ का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र एक ऐसी विद्या है यदि उसकी सही व्याख्या हो तो व्यक्ति के भूत भविष्य के बारे में सब कुछ पता चल जाता है। फलित ज्योतिष के 6 मुख्य भेद कहे गये हैं। (1) जातक (2) संहिता (3) प्रश्न (4) ताजिक (5) मुहुर्त और (6) रमल। आज हम बात करेंगे रमल ज्योतिष शास्त्र की। विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु मनीष साईं जी के अनुसार ज्योतिष की 6 शाखाओं में से रमल भी एक पद्धति है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि महासती के वियोग से व्याकुल भगवान शिव के समक्ष महाभैरव ने चार बिन्दु बना दिए और उनसे उसी में अपनी इच्छित प्रिया सती को खोजने के लिए कहा। विशेष विधान से उन्होंने इसे सिद्ध करके सातवें लोक में अपनी प्रियतमा को