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Showing posts from October 11, 2018

विशेष पूजा कर मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करें -मनीष साईं

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▪नवरात्रि का तीसरा दिन-   विशेष पूजा कर मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करें -मनीष साईं  नवरात्रि में हर दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की साधना की जाती है और मां के हर रूप की अलग महिमा भी है। नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है. इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। इनकी दस भुजाएं और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में खड्ग, बाण आदि दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं और दो हाथों से ये भक्तों को आशीष देती हैं। इनका संपूर्ण शरीर दिव्य आभामय है। इनके दर्शन से भक्तों का हर तरह से कल्याण होता है। माता भक्तों को सभी तरह के पापों से मुक्त करती हैं।इनकी पूजा से बल और यश में बढ़ोतरी होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक मधुरता आती है। देवी की घंटे-सी प्रचंड ध्वनि से भयानक राक्षसों आदि भय खाते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवदुर्गा हिंदू धर्म में माता दुर्गा या पार्वती के 9 रूपों को एक साथ कहा जाता है।इन्हें पापों की विनाशिनी कहा जाता है। हर देवी के अलग-अलग वाहन हैं, अस

कर्ज मुक्ति के 9 महत्वपूर्ण उपाय- मनीष साईं

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कर्ज से मुक्ति के लिए 9 अचूक उपाय- मनीष साईं धन तो व्यक्ति कमा लेता है, लेकिन उस धन को सहेजना और बढ़ाना तथा उसका सही ढंग से प्रबंधन करना यह सबसे महत्वपूर्ण होता है। देखने में आता है कि कुछ लोग पैसा कमाने के बाद अचानक से कर्ज के बोझ में दब जाते हैं और उसके बाद उनका जीवन नर्क के समान हो जाता है। सनातन धर्म के अनुसार, कर्ज का बोझ मनुष्य को मरने के बाद भी खत्म नहीं होता, उसे किसी ना किसी रूप में कर्ज जरूर चुकाना पड़ता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, जहां तक हो सके कर्ज से बचना चाहिए। व्यक्ति कर्ज में डूबता है इन सब के पीछे उसके ग्रह नक्षत्र और भाग्य का भी हाथ होता है। यदि आपने घर खरीदने के लिए या फिर गाड़ी या दूसरी जरूरी चीजों को खरीदने के लिए कर्ज लिया है। किसी कारण से ऐसी परिस्थिति बन गई है, जिससे आपको कर्ज चुकाने में परेशानी आ रही है या कर्ज की वजह से आपके जीवन में किसी तरह की परेशानी चल रही है तो मैं आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहा हूं  जिससे आप जल्द ही कर्ज से मुक्त हो सकते हैं… ▪कर्ज मुक्त‌ि के ल‌िए श्री लक्ष्मी गायत्री मंत्र 'ॐ ह्रीं महालक्ष्मी च व‌िद्महे व‌िष्‍णुपत्नीं च धीम