विशेष पूजा कर मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करें -मनीष साईं

▪नवरात्रि का तीसरा दिन-

  विशेष पूजा कर मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करें -मनीष साईं

 नवरात्रि में हर दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की साधना की जाती है और मां के हर रूप की अलग महिमा भी है। नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है. इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। इनकी दस भुजाएं और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में खड्ग, बाण आदि दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं और दो हाथों से ये भक्तों को आशीष देती हैं। इनका संपूर्ण शरीर दिव्य आभामय है। इनके दर्शन से भक्तों का हर तरह से कल्याण होता है। माता भक्तों को सभी तरह के पापों से मुक्त करती हैं।इनकी पूजा से बल और यश में बढ़ोतरी होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक मधुरता आती है। देवी की घंटे-सी प्रचंड ध्वनि से भयानक राक्षसों आदि भय खाते हैं।

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवदुर्गा हिंदू धर्म में माता दुर्गा या पार्वती के 9 रूपों को एक साथ कहा जाता है।इन्हें पापों की विनाशिनी कहा जाता है। हर देवी के अलग-अलग वाहन हैं, अस्त्र-शस्त्र हैं। जिनकी कुंडली में मंगल भारी है तथा रिलेशन की समस्या है उनके लिए मां चंद्रघंटा की पूजा लाभदायक साबित हो सकती है।

▪नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व-

 तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है। इस दिन मां के चंद्रघंटा स्वरुप की उपासना की जाती है। इनके सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है।मां चंद्रघंटा तंभ साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है।

▪ विशेष पूजा कैसे करें -

 मां को अनार के रस से  स्नान कराएं और मां को लाल फूल चढ़ाएं, लाल सेब और गुड़ चढाएं, घंटा बजाकर पूजा करें, ढोल और नगाड़े बजाकर पूजा और आरती करें, शुत्रुओं की हार होगी। इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान है। इससे हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है। नीम के वृक्ष पर मीठा जल चढ़ाने से मां चंद्रघंटा प्रसन्न होती है।

▪मां की उपासना का मंत्र-

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

मां का स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। उनका ध्यान हमारे इस लोक और परलोक दोनों को सद्गति देने वाला है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसीलिए मां को चंद्रघंटा कहा गया है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और इनके दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं। सिंह पर सवार दुष्‍टों के संहार के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं।

▪आप व्यस्त रहते हैं और लेख में बताए गए कार्यों को  करने में असमर्थ है  तो आप  मां के मंत्र से  उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी तरह की परेशानी से मुक्ति पाने के लिये आज के दिन मां चंद्रघंटा का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए- 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम: देवी के मंत्र जाप  करके माता को प्रसन्न कर सकते हैं और उनकी कृपा से अपने बिगड़े हुए काम पूरे कर सकते हैं।

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