रूपचौदस नरक से पाएं मुक्ति, खूबसूरत बने रहने के लिए करें यह उपाय- मनीष साईं दीपावली के एक दिन पहले रूप चौदस का शास्त्रों में बहुत महत्व है इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं।परम्पराओं के अनुसार नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीवाली भक्ति पूजा करने से बाह्य व आंतरिक सुंदरता व रूप का वरदान मिलता है इसलिए इस दिन को रूप चौदस के रूप में भी मनाया जाता है। नरकासुर के मारे जाने की खुशी में लोगों ने दीवाली से 1 दिन पहले ही घी के दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई थी तब से आज तक रात को नरक चौदस छोटी दिवाली के रूप में मनाए जाने की परंपरा है। इस दिन मां लक्ष्मी जी, मां सरस्वती का गणेश जी सहित पूजन किया जाता है तथा उन्हें अपने घर आने की विनती की जाती है। ▪ श्राद्ध विधान के अनुसार यदि किसी को हमेशा मृत्यु का भय रहता है तो नरक चतुर्दशी के दिन यमो का तर्पण दक्षिण दिशा में मुंह करके जल तिल और कुशा लेकर देव तीर्थ में करने से मृत्यु का भय खत्म होता है। ▪नरक चौदस के दिन सायं 4 बत्ती वाला मिट्टी का दीपक पूर्व दिशा में अपना मुख करके घर के मुख्य द्वार पर रखें तथा ‘दत्तो दीप: चतुर्दश्यो नरक प्रीतये मया। चतुर्वर्त
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