व्यभिचारी योग- कामवासना बढ़ाता है यह योग,जानिए बचने के उपाय
व्यभिचारी योग- स्त्री और पुरुषों के अनेक अवैध संबंधों का कारण है व्यभिचारी योग -मनीष साईं व्यभिचारी योग बनने पर व्यक्ति के जीवन में कई प्रेम प्रसंग तथा अवैध संबंध होते हैं। यह योग बहुत घातक होता है। क्योकि व्यभिचार सारे अनर्थों की जड़ है। इसके कारण कुल अथवा परिवार की मर्यादा और यश का सर्वनाश हो जाता है। इस योग से भरे पूरे परिवार का सफाया हो जाता है। इसलिए स्त्री की कुंडली में यदि ये योग हो तो विवाह नही करना चाहिए। लड़कियां अनैतिक कार्यों में लिप्त हो जाती है। ज्योतिष में माना जाता है कि जन्म कुंडली में शुक्र उच्च का होने पर व्यक्ति के कई प्रेम प्रसंग हो सकते हैं, जो कि विवाह के बाद भी जारी रहते हैं। शुक्र को भोग-विलास का कारक माना गया है। शुक्र प्रधान व्यक्तियों में काम-भावना का अतिरेक पाया जाता है। यदि जन्म पत्रिका में शुक्र नीचराशिस्थ हो, चन्द्र नीचराशिस्थ हो एवं शुक्र व चन्द्र पर क्रूर ग्रहों, विशेषकर मंगल का प्रभाव हो तो यह योग व्यक्ति को चारित्रिक रूप से पतित कर देता है। मंगल एक क्रूर एवं उत्तेजनात्मक ग्रह है। 🔳आइए जानते हैं कैसे बनता है व्यभिचारी योग