दुकान या शोरूम मेहनत के बावजूद नहीं चल रहे हैं, बिक्री घट गई है, कर्ज बढ़ गया है तो यह महत्वपूर्ण उपाय करें -मनीष साईं
🚩🚩दुकान या शोरूम मेहनत के बावजूद नहीं चल रहे हैं, बिक्री घट गई है, कर्ज बढ़ गया है तो यह महत्वपूर्ण उपाय करें -मनीष साईं🚩🚩
🔶 दुकान में दिशा अनुसार कैसे बैठना चाहिए जाने ।
🔶 दुकान पर आई विपत्तियों को कैसे खत्म करें।
🔶 लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का महत्वपूर्ण उपाय भी जाने।
आज के प्रतिस्पर्धा के युग में धन कमाना आसान नहीं है। धन कमाने के लिए व्यक्ति या तो अच्छी नौकरी की उम्मीद करता है, या वह अपना स्वयं का व्यापार शुरू करता है। दुकान या शोरूम खोलता है। जिससे व्यक्ति का जीवन चलता है।कई बार ऐसा होता है कि वह पूरी मेहनत करता है।लेकिन व्यापार में उसे तरक्की नहीं मिल पाती या उसके साथ ऐसी घटनाएं घटित होने लगती है कि वह मानसिक तनाव से घिर जाता है। क्योंकि दुकान उसकी शुरू में बहुत चलती है और धीरे-धीरे व्यापार कम हो जाता है। इसका कारण ग्रहों की प्रतिकूल दशा या उस दुकान का वास्तु सम्मत नहीं होना या तंत्र मंत्र से प्रतिस्पर्धा के कारण या आपसी विवाद के कारण दुकान को बांध देना होता है। जिसके कारण व्यापार में लगातार घाटा होता है। दुकान मालिक का कर्ज बढ़ते जाता है ।आज मैं इन सब से बचने के लिए बहुत आसान उपाय आपको बताने जा रहा हूं । इन उपायों को करने से निश्चित तौर पर आपका व्यापार चलेगा। यदि इन उपायों के बावजूद अगर व्यापार नहीं चलता है तो जरूर तंत्र मंत्र से आपको या आपके व्यापार को बांध रखा है। आप इससे बचने के लिए हमारे संस्थान के नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं ।
♦दुकान या ऑफिस में प्रवेश करने से पूर्व दाहिने पैर से ही प्रवेश करें और घर आते समय बांये पैर से ही निकलें।
♦ जिन व्यापारी भाइयों की बिक्री लाख प्रयत्नों के बाद भी निरंतर घटती जा रही है। उनके लिए अचूक टोटका मैं आपको बता रहा हूं ।अवश्य ही लाभ होगा शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार से यह क्रिया आरंभ करें और हर बृहस्पतिवार को दोहराते जाएं। व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धो लें। इसके पश्चात हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, उस पर चने की दाल और थोड़ा गुड़ रख दे। इसके बाद स्वास्तिक को बार-बार ना देखें ।प्रभु कृपा से आप शीघ्र ही लाभ का अनुभव करेंगे।
♦ दुकान मालिक को अपनी कुंडली में स्थित ग्रहों के अनुसार दुकान पर नियमित पूजा अर्चना करना चाहिए इसके लिए वह किसी अच्छे विद्वान ज्योतिष से संपर्क कर सकते है।
♦ देसी कपूर और रोली मिलाकर उसमें आग लगाएं। उसकी राख को दुकान के गल्ले में रखें तो आप का व्यापार दिन दुगना रात चौगुना बढ़ जाएगा।
♦रविवार को पान खाकर दुकान या ऑफिस का ताला खोलें। अगर आपको पान खाना न पसंद है तो एक पान का पत्ता साथ में ले जाएं। जब शाम को घर वापिस आएं तो उसे किसी मंदिर में अर्पण कर दें।
♦सोमवार को घर से निकलते समय दर्पण अवश्य देख कर निकलें।
♦मंगलवार को गुड़ खा कर घर से निकलें।
♦बुधवार को धनिया चबाते हुए निकलें।
♦बृहस्पतिवार को जीरा खाकर घर से निकलें।
♦शुक्रवार को दही खाकर दुकान खोलें।
♦शनिवार को अदरक खाकर घर से निकलें।
♦ दुकान तिराहे या चौराहे पर होने से शुभ फल देती है।
♦ मुख्यद्वार बड़ा होना चाहिए और उसके ठीक सामने कोई भी बड़ा खम्भा, धारदार सीढ़ियां या पेड़ नहीं होना चाहिए। यदि है तो बड़ा कॉन्वेक्स मिरर लगाएं।
♦ सात रंगों के स्टोन से बना व्यापार वृद्धि यंत्र दुकान में रखने से कभी भी बिक्री कम नहीं होती व्यापारी तत्काल इसे खरीद कर उत्तर पूर्व में पूजा स्थल पर रखें चीन जापान और अमेरिका में इसका प्रयोग किया जाता है।
♦दुकान का गल्ला उत्तर दिशा में होना चाहिए। उसके ऊपर बीम नहीं होना चाहिए। दुकान के गल्ले में चारों ओर दर्पण लगाना चाहिए यदि तिजोरी है तो उसमें भी चारों ओर दर्पण लगाना चाहिए।
♦दुकान की तिजोरी के पास महालक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाएं। दुकान खोलकर साफ-सफाई करने के बाद गणेश जी की पूजा करें फिर लक्ष्मी जी की पूजा करके ही गद्दी पर बैठें। ऐसा करने से सदा बरकत बनी रहती है।
♦ क्रेडिट कार्ड मशीन और फोन को पूर्व दिशा में स्थान दें।
♦ग्राहक जब दुकान में आएं तो उनका मुंह वेस्ट दिशा में होना चाहिए।
♦ दुकान के लिए सफेद रंग शुभता लेकर आता है। अत: दिवारों पर सफेद रंग करवाएं और अधिकतर चीजें सफेद रंग की ही प्रयोग करें।
♦ कांच का प्रयोग अधिक से अधिक करें।
♦ दुकान पर जब भी कोई भिखारी अथवा जरूरतमंद आए उसे दुकान के गल्ले में से कुछ दान अवश्य दें।
♦बारह गोमती चक्र को लाल रंग के कपड़े में बांधकर दुकान के बाहर की ओर से मुख्य दरवाजे पर लटका दें। दुकानदारी में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त होंगी और मुनाफा होने लगेगा।
♦रविवार के दिन प्रात:काल नहा धोकर हाथ में काले उड़द के दाने लेकर इस मंत्र को इक्कीस बार पढ़कर उड़द को दुकान में बिखेर देने से दुकान में अभूतपूर्व बिक्री बढ़ जाती है।
♦ मंत्र♦
भंवर वीर तू चेला मेरा,
खोल दुकान बिकरा
कर मेरा,
उठे जो डंडी बिके
जो माल,
भंवर वीर सों नहीं जाय।
🔶🔶लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण उपाय🔶🔶
लक्ष्मी दो शब्दों के जोड़ से बना है ''लक्ष्य'' और ''मी'' जिसका अर्थ है, लक्ष्य तक ले जाने वाली लक्ष्मी। इनके आशीर्वाद के बिना कोई भी अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता। किसी भी व्यक्ति की आर्थिक हालत तभी मजबूत हो सकती है जब उसका व्यवसाय सुचारू रूप से चलेगा। दुकान खोलने के बाद सफाई करके लक्ष्मी जी के चित्र के सामने -
"ॐ लक्ष्मीभ्यो नम:’ "
मंत्र का 108 बार जप करने के उपरांत दुकानदारी करें। लक्ष्मी की वृद्धि अवश्य होती है।
♦सूर्यास्त के समय-
ॐ श्री शुकले महाशुकले निवासे। श्री महालक्ष्मी नमो नम:।
इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। इससे मां की असीम कृपा प्राप्त होती है और हर प्रकार के आर्थिक संकट दूर होते हैं।
🔶🔶विभिन्न दिशाओं के अनुसार दुकान में बैठने का सही स्थान🔶🔶
♦यदी पूर्व मुखी दुकान है तो दुकान मालिक को पश्चिम में पूर्व को और दक्षिण से उत्तर की ओर, फर्श ढलान बनवा कर, आग्नये में पूर्व की दीवार से परे, दक्षिण आग्नेय के दीवार से लगे हुए, दुकानदार को उत्तर की ओर मुंह कर के बैठ कर, अपने बायें हाथ की ओर गल्ला रखना चाहिए। यदि पूर्व मुखी दुकान है तो पूर्व में मुख कर बैठ सकते है। तब तिजोरी या अल्मारी को बायीं ओर रख लेना चाहिए।
♦ वास्तु के हिसाब से यदि उत्तरमुखी दुकान है तो वह बहुत अच्छी मानी जाती है यह ध्यान रखें की दुकानदार जब भी बैठे तो उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए उत्तर मुखी दुकान में भारी सामान एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान दक्षिण या दक्षिण पूर्व की ओर रखना चाहिए ।वास्तु के हिसाब से दुकान में चबूतरे बनाकर बैठना मना है उत्तर की ओर तो चबूतरा बनाकर बैठना ही नहीं चाहिए। नीचे बैठना अगर पसंद है, तो उत्तर दिशा सबसे उपयुक्त है कुर्सी और मेज डालकर भी बैठ सकते है। याद रखें कि किसी भी हालत में वायव्य कोण में न बैठे।
♦ यदि पूर्व मुखी दुकान है तो नैर्ऋत्य में बैठा जा सकता है। उस दिशा में चबूतरा बनाकर, या कुर्सी-मेज डालकर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह कर के बैठे सकते है। बैठने की जगह थोड़ी ऊंची कर के बैठना चाहिए।
♦ दक्षिण में द्वार वाली दुकान के मालिक को दक्षिण से उत्तर को और पश्चिम से पूर्व को फर्श ढलवान बनवा कर, नैर्ऋत्य में चबूतरा बनाकर, या कुर्सी-मेज डालकर, पूर्व की ओर मुंह कर बैठना चाहिए। तिजोरी को दायीं ओर रख लेना चाहिए। अगर उत्तर की ओर मुंह करके बैठे तो बायीं ओर तिजोरी रख लेनी चाहिए। दक्षिण सिंह द्वार वाले दुकान में आग्नेय, वायव्य और ईशान्य में बैठ कर व्यापार-धंधा नहीं करना चाहिए।
♦पश्चिमी द्वार वाली दुकान में दुकान का मालिक पहले फर्श पर पश्चिम से पूर्व को और दक्षिण से उत्तर की ओर ढलान बनवा कर नैर्ऋत्य मैं चबूतरा बनाकर या कुर्सी-मेज डालकर, अथवा नीचे भी उत्तर की ओर मुंह कर के बैठ सकते है। तब नगदी पेटी बायीं की ओर रखना चाहिए। अगर पूर्व की ओर मुंह कर बैठना चाहें, तो तिजोरी को दायीं ओर लगा लेना चाहिए।
♦दुकान मालिक के कमरों का पूर्व, उत्तर या पूर्व, उत्तर ईशान में द्वार हो। आग्नेय, नैर्ऋत्य और वायव्य में द्वार न हो।
♦यदि दुकान के दो शटर है तो पूर्व के भाग की ईशानी शटर को खुला रखना चाहिए। आग्नेय के शटर को बंद रखना चाहिए, या नहीं, तो दोनों खुला रख सकते है। ईशान शटर को बंद कर के कभी भी आग्नेय के शटर को नहीं खोलना चाहिए। अगर खोलें भी, उस राह से चलना नहीं चाहिए। राह बंद करने के लिए पार्टीशन बनाएं, या बोरी, या बेंच आडे रखने चाहिए।
♦यदि दक्षिण मुख्य द्वार वाली दुकान हेतु आग्नेय का शटर खोल कर नैर्ऋत्य बंद करना चाहिए या दोनों को खुला रखें। परंतु नैर्ऋत्य शटर को खोल कर आग्नेय वाला कभी भी बंद नहीं रखना चाहिए। अगर खोलें भी, उधर रुकावट डाल कर चलना बंद करें।
🔶🔶 यह सभी उपाय आपको अनुभव के आधार पर बताए गए हैं। परम पूज्य गुरुदेव श्री मनीष साईं जी की पुस्तक रेमेडियल वास्तु मैं इसका विस्तृत उल्लेख है। इसके अलावा दुकान के नहीं चलने के पीछे कई और कारण भी हो सकते हैं।जिसमें तंत्र मंत्र का कारण सबसे अधिक देखने को मिलता है । कई लोग आपसी खींचतान या हमें आगे बढ़ता हुआ देख कर जलने लगते हैं या प्रतिस्पर्धा के चलते व्यापार को बांध देते हैं। जिससे दुकान की ग्राहकी बंद हो जाती है। दुकान मालिक को घाटा होने लगता है। वह कर्ज में डूब जाता है।ऐसी स्थिति में आपको हमारे संस्थान के WhatsApp नंबर पर दुकान के मुख्य द्वार का फोटो खींचकर भेजना होगा जिसे परम पूज्य गुरुदेव अपनी शक्तियों के माध्यम से देख कर बता देंगे कि दुकान के नहीं चलने का कारण क्या है। ज्योतिष एवं वास्तु भी इफेक्ट डालते हैं। यदि ज्योतिष यानी आपकी कुंडली में मौजूदा हालात में ग्रह ठीक नहीं है या आप जिस जगह दुकान चला रहे हैं वहां का वास्तु ठीक नहीं है तो यह भी एक कारण हो सकता है।
विस्तृत जानकारी के लिए आप हमारे नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।
🔶🔶हमारा पता है -
साईं अन्नपूर्णा सोशल फाउंडेशन
156, सहयोग विहार बावड़िया कला भोपाल मध्य प्रदेश
संपर्क-9617950498
WhatsApp नंबर-7000632297
http://manishsai.org/
🚩🚩सबका भला हो सब सुख पाए🚩🚩
🔶 दुकान में दिशा अनुसार कैसे बैठना चाहिए जाने ।
🔶 दुकान पर आई विपत्तियों को कैसे खत्म करें।
🔶 लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का महत्वपूर्ण उपाय भी जाने।
आज के प्रतिस्पर्धा के युग में धन कमाना आसान नहीं है। धन कमाने के लिए व्यक्ति या तो अच्छी नौकरी की उम्मीद करता है, या वह अपना स्वयं का व्यापार शुरू करता है। दुकान या शोरूम खोलता है। जिससे व्यक्ति का जीवन चलता है।कई बार ऐसा होता है कि वह पूरी मेहनत करता है।लेकिन व्यापार में उसे तरक्की नहीं मिल पाती या उसके साथ ऐसी घटनाएं घटित होने लगती है कि वह मानसिक तनाव से घिर जाता है। क्योंकि दुकान उसकी शुरू में बहुत चलती है और धीरे-धीरे व्यापार कम हो जाता है। इसका कारण ग्रहों की प्रतिकूल दशा या उस दुकान का वास्तु सम्मत नहीं होना या तंत्र मंत्र से प्रतिस्पर्धा के कारण या आपसी विवाद के कारण दुकान को बांध देना होता है। जिसके कारण व्यापार में लगातार घाटा होता है। दुकान मालिक का कर्ज बढ़ते जाता है ।आज मैं इन सब से बचने के लिए बहुत आसान उपाय आपको बताने जा रहा हूं । इन उपायों को करने से निश्चित तौर पर आपका व्यापार चलेगा। यदि इन उपायों के बावजूद अगर व्यापार नहीं चलता है तो जरूर तंत्र मंत्र से आपको या आपके व्यापार को बांध रखा है। आप इससे बचने के लिए हमारे संस्थान के नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं ।
♦दुकान या ऑफिस में प्रवेश करने से पूर्व दाहिने पैर से ही प्रवेश करें और घर आते समय बांये पैर से ही निकलें।
♦ जिन व्यापारी भाइयों की बिक्री लाख प्रयत्नों के बाद भी निरंतर घटती जा रही है। उनके लिए अचूक टोटका मैं आपको बता रहा हूं ।अवश्य ही लाभ होगा शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार से यह क्रिया आरंभ करें और हर बृहस्पतिवार को दोहराते जाएं। व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धो लें। इसके पश्चात हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, उस पर चने की दाल और थोड़ा गुड़ रख दे। इसके बाद स्वास्तिक को बार-बार ना देखें ।प्रभु कृपा से आप शीघ्र ही लाभ का अनुभव करेंगे।
♦ दुकान मालिक को अपनी कुंडली में स्थित ग्रहों के अनुसार दुकान पर नियमित पूजा अर्चना करना चाहिए इसके लिए वह किसी अच्छे विद्वान ज्योतिष से संपर्क कर सकते है।
♦ देसी कपूर और रोली मिलाकर उसमें आग लगाएं। उसकी राख को दुकान के गल्ले में रखें तो आप का व्यापार दिन दुगना रात चौगुना बढ़ जाएगा।
♦रविवार को पान खाकर दुकान या ऑफिस का ताला खोलें। अगर आपको पान खाना न पसंद है तो एक पान का पत्ता साथ में ले जाएं। जब शाम को घर वापिस आएं तो उसे किसी मंदिर में अर्पण कर दें।
♦सोमवार को घर से निकलते समय दर्पण अवश्य देख कर निकलें।
♦मंगलवार को गुड़ खा कर घर से निकलें।
♦बुधवार को धनिया चबाते हुए निकलें।
♦बृहस्पतिवार को जीरा खाकर घर से निकलें।
♦शुक्रवार को दही खाकर दुकान खोलें।
♦शनिवार को अदरक खाकर घर से निकलें।
♦ दुकान तिराहे या चौराहे पर होने से शुभ फल देती है।
♦ मुख्यद्वार बड़ा होना चाहिए और उसके ठीक सामने कोई भी बड़ा खम्भा, धारदार सीढ़ियां या पेड़ नहीं होना चाहिए। यदि है तो बड़ा कॉन्वेक्स मिरर लगाएं।
♦ सात रंगों के स्टोन से बना व्यापार वृद्धि यंत्र दुकान में रखने से कभी भी बिक्री कम नहीं होती व्यापारी तत्काल इसे खरीद कर उत्तर पूर्व में पूजा स्थल पर रखें चीन जापान और अमेरिका में इसका प्रयोग किया जाता है।
♦दुकान का गल्ला उत्तर दिशा में होना चाहिए। उसके ऊपर बीम नहीं होना चाहिए। दुकान के गल्ले में चारों ओर दर्पण लगाना चाहिए यदि तिजोरी है तो उसमें भी चारों ओर दर्पण लगाना चाहिए।
♦दुकान की तिजोरी के पास महालक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाएं। दुकान खोलकर साफ-सफाई करने के बाद गणेश जी की पूजा करें फिर लक्ष्मी जी की पूजा करके ही गद्दी पर बैठें। ऐसा करने से सदा बरकत बनी रहती है।
♦ क्रेडिट कार्ड मशीन और फोन को पूर्व दिशा में स्थान दें।
♦ग्राहक जब दुकान में आएं तो उनका मुंह वेस्ट दिशा में होना चाहिए।
♦ दुकान के लिए सफेद रंग शुभता लेकर आता है। अत: दिवारों पर सफेद रंग करवाएं और अधिकतर चीजें सफेद रंग की ही प्रयोग करें।
♦ कांच का प्रयोग अधिक से अधिक करें।
♦ दुकान पर जब भी कोई भिखारी अथवा जरूरतमंद आए उसे दुकान के गल्ले में से कुछ दान अवश्य दें।
♦बारह गोमती चक्र को लाल रंग के कपड़े में बांधकर दुकान के बाहर की ओर से मुख्य दरवाजे पर लटका दें। दुकानदारी में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त होंगी और मुनाफा होने लगेगा।
♦रविवार के दिन प्रात:काल नहा धोकर हाथ में काले उड़द के दाने लेकर इस मंत्र को इक्कीस बार पढ़कर उड़द को दुकान में बिखेर देने से दुकान में अभूतपूर्व बिक्री बढ़ जाती है।
♦ मंत्र♦
भंवर वीर तू चेला मेरा,
खोल दुकान बिकरा
कर मेरा,
उठे जो डंडी बिके
जो माल,
भंवर वीर सों नहीं जाय।
🔶🔶लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण उपाय🔶🔶
लक्ष्मी दो शब्दों के जोड़ से बना है ''लक्ष्य'' और ''मी'' जिसका अर्थ है, लक्ष्य तक ले जाने वाली लक्ष्मी। इनके आशीर्वाद के बिना कोई भी अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता। किसी भी व्यक्ति की आर्थिक हालत तभी मजबूत हो सकती है जब उसका व्यवसाय सुचारू रूप से चलेगा। दुकान खोलने के बाद सफाई करके लक्ष्मी जी के चित्र के सामने -
"ॐ लक्ष्मीभ्यो नम:’ "
मंत्र का 108 बार जप करने के उपरांत दुकानदारी करें। लक्ष्मी की वृद्धि अवश्य होती है।
♦सूर्यास्त के समय-
ॐ श्री शुकले महाशुकले निवासे। श्री महालक्ष्मी नमो नम:।
इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। इससे मां की असीम कृपा प्राप्त होती है और हर प्रकार के आर्थिक संकट दूर होते हैं।
🔶🔶विभिन्न दिशाओं के अनुसार दुकान में बैठने का सही स्थान🔶🔶
♦यदी पूर्व मुखी दुकान है तो दुकान मालिक को पश्चिम में पूर्व को और दक्षिण से उत्तर की ओर, फर्श ढलान बनवा कर, आग्नये में पूर्व की दीवार से परे, दक्षिण आग्नेय के दीवार से लगे हुए, दुकानदार को उत्तर की ओर मुंह कर के बैठ कर, अपने बायें हाथ की ओर गल्ला रखना चाहिए। यदि पूर्व मुखी दुकान है तो पूर्व में मुख कर बैठ सकते है। तब तिजोरी या अल्मारी को बायीं ओर रख लेना चाहिए।
♦ वास्तु के हिसाब से यदि उत्तरमुखी दुकान है तो वह बहुत अच्छी मानी जाती है यह ध्यान रखें की दुकानदार जब भी बैठे तो उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए उत्तर मुखी दुकान में भारी सामान एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान दक्षिण या दक्षिण पूर्व की ओर रखना चाहिए ।वास्तु के हिसाब से दुकान में चबूतरे बनाकर बैठना मना है उत्तर की ओर तो चबूतरा बनाकर बैठना ही नहीं चाहिए। नीचे बैठना अगर पसंद है, तो उत्तर दिशा सबसे उपयुक्त है कुर्सी और मेज डालकर भी बैठ सकते है। याद रखें कि किसी भी हालत में वायव्य कोण में न बैठे।
♦ यदि पूर्व मुखी दुकान है तो नैर्ऋत्य में बैठा जा सकता है। उस दिशा में चबूतरा बनाकर, या कुर्सी-मेज डालकर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह कर के बैठे सकते है। बैठने की जगह थोड़ी ऊंची कर के बैठना चाहिए।
♦ दक्षिण में द्वार वाली दुकान के मालिक को दक्षिण से उत्तर को और पश्चिम से पूर्व को फर्श ढलवान बनवा कर, नैर्ऋत्य में चबूतरा बनाकर, या कुर्सी-मेज डालकर, पूर्व की ओर मुंह कर बैठना चाहिए। तिजोरी को दायीं ओर रख लेना चाहिए। अगर उत्तर की ओर मुंह करके बैठे तो बायीं ओर तिजोरी रख लेनी चाहिए। दक्षिण सिंह द्वार वाले दुकान में आग्नेय, वायव्य और ईशान्य में बैठ कर व्यापार-धंधा नहीं करना चाहिए।
♦पश्चिमी द्वार वाली दुकान में दुकान का मालिक पहले फर्श पर पश्चिम से पूर्व को और दक्षिण से उत्तर की ओर ढलान बनवा कर नैर्ऋत्य मैं चबूतरा बनाकर या कुर्सी-मेज डालकर, अथवा नीचे भी उत्तर की ओर मुंह कर के बैठ सकते है। तब नगदी पेटी बायीं की ओर रखना चाहिए। अगर पूर्व की ओर मुंह कर बैठना चाहें, तो तिजोरी को दायीं ओर लगा लेना चाहिए।
♦दुकान मालिक के कमरों का पूर्व, उत्तर या पूर्व, उत्तर ईशान में द्वार हो। आग्नेय, नैर्ऋत्य और वायव्य में द्वार न हो।
♦यदि दुकान के दो शटर है तो पूर्व के भाग की ईशानी शटर को खुला रखना चाहिए। आग्नेय के शटर को बंद रखना चाहिए, या नहीं, तो दोनों खुला रख सकते है। ईशान शटर को बंद कर के कभी भी आग्नेय के शटर को नहीं खोलना चाहिए। अगर खोलें भी, उस राह से चलना नहीं चाहिए। राह बंद करने के लिए पार्टीशन बनाएं, या बोरी, या बेंच आडे रखने चाहिए।
♦यदि दक्षिण मुख्य द्वार वाली दुकान हेतु आग्नेय का शटर खोल कर नैर्ऋत्य बंद करना चाहिए या दोनों को खुला रखें। परंतु नैर्ऋत्य शटर को खोल कर आग्नेय वाला कभी भी बंद नहीं रखना चाहिए। अगर खोलें भी, उधर रुकावट डाल कर चलना बंद करें।
🔶🔶 यह सभी उपाय आपको अनुभव के आधार पर बताए गए हैं। परम पूज्य गुरुदेव श्री मनीष साईं जी की पुस्तक रेमेडियल वास्तु मैं इसका विस्तृत उल्लेख है। इसके अलावा दुकान के नहीं चलने के पीछे कई और कारण भी हो सकते हैं।जिसमें तंत्र मंत्र का कारण सबसे अधिक देखने को मिलता है । कई लोग आपसी खींचतान या हमें आगे बढ़ता हुआ देख कर जलने लगते हैं या प्रतिस्पर्धा के चलते व्यापार को बांध देते हैं। जिससे दुकान की ग्राहकी बंद हो जाती है। दुकान मालिक को घाटा होने लगता है। वह कर्ज में डूब जाता है।ऐसी स्थिति में आपको हमारे संस्थान के WhatsApp नंबर पर दुकान के मुख्य द्वार का फोटो खींचकर भेजना होगा जिसे परम पूज्य गुरुदेव अपनी शक्तियों के माध्यम से देख कर बता देंगे कि दुकान के नहीं चलने का कारण क्या है। ज्योतिष एवं वास्तु भी इफेक्ट डालते हैं। यदि ज्योतिष यानी आपकी कुंडली में मौजूदा हालात में ग्रह ठीक नहीं है या आप जिस जगह दुकान चला रहे हैं वहां का वास्तु ठीक नहीं है तो यह भी एक कारण हो सकता है।
विस्तृत जानकारी के लिए आप हमारे नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं।
🔶🔶हमारा पता है -
साईं अन्नपूर्णा सोशल फाउंडेशन
156, सहयोग विहार बावड़िया कला भोपाल मध्य प्रदेश
संपर्क-9617950498
WhatsApp नंबर-7000632297
http://manishsai.org/
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