रोग नाशक देवी मंत्र

रोग नाशक देवी मंत्र

 रोग नाशक मंत्रों का जाप होगा बहुत लाभ -मनीष साईं

♦“ॐ उं उमा-देवीभ्यां नमः”

इस मन्त्र से मस्तक-शूल तथा मज्जा-तन्तुओं की समस्त विकृतियाँ दूर होती है – ‘पागल-पन’ तथा ‘हिस्टीरिया’ पर भी इसका प्रभाव पड़ता है । यह मंत्र सहस्त्रार चक्र और आज्ञा चक्र पर सीधा असर करता है।

♦“ॐ यं यम-घण्टाभ्यां नमः”
इस मन्त्र से ‘नासिका’ के विकार दूर होते हैं ।
यह मंत्र अनाहत चक्र, हृदय चक्र और मणिपुर चक्र पर सीधा असर करता है।

♦“ॐ शां शांखिनीभ्यां नमः”
इस मन्त्र से आँखों के विकार  दूर होते हैं । सूर्योदय से पूर्व इस मन्त्र से अभिमन्त्रित रक्त-पुष्प से आँख झाड़ने से ‘फूला’ आदि विकार नष्ट होते हैं ।
यह आज्ञा चक्र पर सीधा असर करता है जिसे आत्मा का स्थान कहते हैं।

♦“ॐ द्वां द्वार-वासिनीभ्यां नमः”
इस मन्त्र से समस्त ‘कर्ण-विकार’ दूर होते हैं ।
आज्ञा चक्र पर या सीधा असर करता है मन मस्तिष्क के रोगों पर भी इसका प्रभाव होता है।

♦“ॐ चिं चित्र-घण्टाभ्यां नमः”
इस मन्त्र से ‘कण्ठमाला’ तथा कण्ठ-गत विकार दूर होते हैं ।
यह अनाहत चक्र पर सीधा असर करता है।

♦“ॐ सं सर्व-मंगलाभ्यां नमः”
इस मन्त्र से जिह्वा-विकार दूर होते हैं । तुतलाकर बोलने वालों  या हकलाने वालों  के लिए यह मन्त्र बहुत लाभदायक है । यह भी
अनाहत चक्र पर यह सीधा असर करता है गले के रोग मैं बहुत लाभदायक है।

♦“ॐ धं धनुर्धारिभ्यां नमः”
इस मन्त्र से पीठ की रीढ़ के विकार दूर होते है । मणिपुर चक्र एवं स्वाधिष्ठान चक्र पर या सीधा असर करता है।

♦“ॐ मं महा-देवीभ्यां नमः”

इस मन्त्र से माताओं के स्तन विकार अच्छे होते हैं । कागज पर लिखकर बालक के गले में बाँधने से नजर, चिड़चिड़ापन आदि दोष-विकार दूर होते हैं ।

♦“ॐ शों शोक-विनाशिनीभ्यां नमः”

इस मन्त्र से समस्त मानसिक व्याधियाँ नष्ट होती है । ‘मृत्यु-भय’ दूर होता है । पति-पत्नी का कलह-विग्रह रुकता है । इस मन्त्र को साध्य के नाम के साथ मंगलवार के दिन अनार की कलम से रक्त-चन्दन से भोज-पत्र पर लिखकर, शहद में डुबो कर रखे । मन्त्र के साथ जिसका नाम लिखा होगा, उसका क्रोध शान्त होगा ।

♦“ॐ लं ललिता-देवीभ्यां नमः”
इस मन्त्र से हृदय-विकार दूर होते हैं। कोलेस्ट्रोल की समस्या से छुटकारा मिलता है शरीर का संतुलन बना रहता है तथा हृदय चक्र पर या सीधा असर करता है।


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Comments

  1. ॐ शां शांखिनीभ्यां नमः
    इसका उच्चारण कैसे करे और कितना करे माला से करना होता है उंगुलियों पे गिन के भी कर सकते है।

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