एकादशी व्रत से संतान प्राप्ति और पाप नाश होते हैं ;:मनीष साईं
🚩🚩एकादशी व्रत से संतान प्राप्ति और पाप नाश होते हैं ;:मनीष साईं
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पवित्रा एकादशी पुत्रदा एवं पापनाशिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्घ है। इस बार यह व्रत 3 अगस्त को किया जाएगा। इस व्रत को करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है एवं व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
🔷कैसे करें पूजन:
प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर वर्षा का पानी एकत्र कर उस में हल्दी डालकर स्नान करें यदि वर्षा आपके शहर में नहीं हो रही है तो सादे पानी से भी स्नान कर सकते हैं । भगवान श्री केशव जी का तुलसी दल और तुलसी की मंजरियों के साथ ही धूप, दीप, नैवैद्य फल और फूलों से पूजन करना चाहिए। पूजन के पश्चात ब्राह्मण को यथा शक्ति दान और दक्षिणा देकर श्री हरिनाम संकीर्तन करें। एक समय फलाहार करने से व्रत सम्पन्न होता है। प्रात: व सांय तिल के तेल से दीपक जलाना चाहिए। द्वादशी के दिन नहां fcधोकर प्रभु का पूजन करने के उपरान्त ब्राह्मण को भोजन करवा कर स्वयं भोजन करना चाहिए। गाय को चारा खिलाएं तथा व्रत वीरवार को होने के कारण पीले रंग की वस्तुओं का दान करें।
🔷व्रत का पुण्य फल:-
वैसे तो किसी भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से जीव की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होतीं हैं परन्तु इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है। व्रत में जो भक्त भगवान श्री कृष्ण के सन्मुख दीपक जलाता है उसके पितर स्वर्ग लोग में स्थित होकर अमृत पान से तृप्त रहते हैं। दिन-रात दीप दान करने से मनुष्य को इतने पुण्य मिलते हैं कि उनकी संख्या का आकलन पुण्य का लेखा जोखा लिखने वाले भगवान भी नहीं जानते ।
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पवित्रा एकादशी पुत्रदा एवं पापनाशिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्घ है। इस बार यह व्रत 3 अगस्त को किया जाएगा। इस व्रत को करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है एवं व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
🔷कैसे करें पूजन:
प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर वर्षा का पानी एकत्र कर उस में हल्दी डालकर स्नान करें यदि वर्षा आपके शहर में नहीं हो रही है तो सादे पानी से भी स्नान कर सकते हैं । भगवान श्री केशव जी का तुलसी दल और तुलसी की मंजरियों के साथ ही धूप, दीप, नैवैद्य फल और फूलों से पूजन करना चाहिए। पूजन के पश्चात ब्राह्मण को यथा शक्ति दान और दक्षिणा देकर श्री हरिनाम संकीर्तन करें। एक समय फलाहार करने से व्रत सम्पन्न होता है। प्रात: व सांय तिल के तेल से दीपक जलाना चाहिए। द्वादशी के दिन नहां fcधोकर प्रभु का पूजन करने के उपरान्त ब्राह्मण को भोजन करवा कर स्वयं भोजन करना चाहिए। गाय को चारा खिलाएं तथा व्रत वीरवार को होने के कारण पीले रंग की वस्तुओं का दान करें।
🔷व्रत का पुण्य फल:-
वैसे तो किसी भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से जीव की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होतीं हैं परन्तु इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है। व्रत में जो भक्त भगवान श्री कृष्ण के सन्मुख दीपक जलाता है उसके पितर स्वर्ग लोग में स्थित होकर अमृत पान से तृप्त रहते हैं। दिन-रात दीप दान करने से मनुष्य को इतने पुण्य मिलते हैं कि उनकी संख्या का आकलन पुण्य का लेखा जोखा लिखने वाले भगवान भी नहीं जानते ।
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