मृत्युकारक कष्ट देता है राहु,शत्रु और रोग बढ़ाता है राहु, बचाव के अचूक उपाय जाने -मनीष साईं

🚩 मृत्युकारक कष्ट देता है राहु,शत्रु और रोग बढ़ाता है राहु, बचाव के अचूक उपाय जाने -मनीष साईं🚩

 राहु का आघात, प्रहार और कुप्रभाव अचूक व् महाभयानक होता है। इसे ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। जब राहु अनिष्ट फल देता है तो मनुष्य शत्रुता, दु:ख, चिंता,क्लेश, दुर्भाग्य, अन्याय और संकट के फेर में पड़ जाता है। और जब वह शुभ फल देता है तो व्यक्ति को सुखी, समृद्ध एवं शक्तिशाली बना देता है। व्यक्ति के जीवन में यदि ग्रह अनुकूल है तो जातक के सभी कार्य समय पर पूर्ण होते चले जाते हैं अन्यथा बने-बनाए कार्य भी बिगड़ जाते हैं। समय अच्छा है तो सब का आशीर्वाद मिलता है अगर यदि समय बुरा हो तो अपने भी साथ छोड़ देते हैं।
आज मैं आपसे राहु के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए यह महत्वपूर्ण आलेख आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं आप सभी को भी पता है कि राहु जिसे केवल एक छाया ग्रह माना जाता है शनि के बाद सबसे अधिक गंभीर परिणाम देने वाला ग्रह माना जाता है वैसे तो पराया सभी ग्रह ही अपना शुभ अशुभ प्रभाव देते रहते हैं परंतु जो ग्रह सूर्य जैसे विशाल अग्नि के गोले तथा चंद्र जैसे शीतलता को भी अपना ग्रास बना लेता है उससे भला साधारण मनुष्य कैसे भयभीत न हो, ऐसा कैसे संभव है? राहु एक आसुरी शक्ति है। इसकी महादशा 18 वर्ष की मानी जाती है। यह भी बताना आवश्यक है यहां पर कि राहुल शुभ फल प्रदान भी करता है और जब वह शुभ फल प्रदान करता है तो जातक को पारिवारिक, व्यक्तिगत, सामाजिक, सदगुण तथा संपन्नता मिलती है।

🔶🔶कुंडली के बारह भाव अनुसार राहु के शुभ अशुभ फल-

🔶 राहु यदि कुंडली में लग्न में स्थित हो, तो जातक के स्वभाव में चिड़चिड़ापन, क्रोध तथा किसी न किसी रोग से ग्रसित वह रहता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि वह साहसिक होता है तथा परिवार का पालन करने वाला भी होता है।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली दूसरे भाव में राहु हो तो वह घमंडी, निकृष्ट प्रदार्थ का सेवन करने वाला, गलत व्यक्तियों के संपर्क में रहने वाला, सदैव दुखी तथा कपट पूर्ण वाणी बोलने वाला व्यक्ति होता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि जातक राजतुल्य जीवन व्यतीत करेगा।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली में राहु तृतीय भाव में है तो पारिवारिक कष्ट प्रदान करता है भाइयों से विवाद बना रहता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि तीसरे भाव में राहु हो तो जातक धन, मित्र, स्त्री, पुत्र के सुख से युक्त होता है। उच्च का राहु होने पर राजसी सुख प्राप्त होता है एवं बुद्धी, धनी एवं दीर्घायु होता है।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली में  चतुर्थ भाव में राहु हेतु जातक धनहीन, भाइयों से पृथक रहनेवाला, नीच व्यक्तियों का मित्र होता है, दुखी होने के साथ अल्पायु होता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि वह बुद्धिमान होता है और 24 से 28 वर्ष की उम्र में उसका समय सामान्य । फिर संतान के बाद उसके जीवन में उत्तरोत्तर सुधार होता है।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के पांचवें भाव में राहु हो तो वह पुत्र हीन होता है या संतान कष्ट पाता है कठोर हृदय वाला तथा भाइयों से कलह रखने वाला होता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि जातक धन  से संपन्न रहता है।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के षष्ट भाव में राहु अशुभ हो तो  संतान के लिए कष्टकारक होगा। शनि का भी फल शुभ नहीं होगा। गुदा रोगी होने के साथ-साथ शत्रु द्वारा या क्रूर ग्रह से पीड़ित होता है। पुत्र शोक, धन सुख तथा शत्रु नाश होता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि वह स्त्री सुख से युक्त होता है।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली में सप्तम भाव में राहु अशुभ होता है तो जातक अल्पबुद्धि किंतु स्वतंत्र प्रकृति का होता है। गलत महिलाओं में पढ़ कर उसका धन नष्ट होता है। ऐसा जातक और अवीर्य एवं विधुर होता है। वह किसी भी व्यापार में भागीदारी करता है तो उसको नुकसान होता है तथा पत्नी का सुख उसके जीवन में नहीं होता है । इसका शुभ परिणाम यह है कि जातक धनी होता है।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के आठवें भाव में राहु हो तो जातक वात रोग से पीड़ित, अल्पआयु, अशुद्ध कर्मरत, छलि या कपटी होता है। गुप्त रोग से पीड़ित होता है  और ऐसा जातक विभिन्न रोगों से भी सामना करता है। इसका शुभ परिणाम यह है कि आयु एवं पुरातत्व के भाव में राहु जातक के लिए धन संबंधी कार्यों के लिए तो शुभ रहेगा।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के नौवें भाव में राहु हो तो जातक प्रतिकूल वचन बोलने वाला, गलत कार्य करने वाला प्रतिनिधि या नेता होता है। उसकी भाग्यवृद्धि 42 वर्ष में होती है। जातक झगड़ालू स्वभाव का होता है। शुभ परिणाम यह है कि 9 वे भाग्य एवं धर्म के भाव में राहु जातक के लिए चिकित्सक योग भी बनाएगा मानसिक रोग विशेषज्ञ भी बनाएगा।
🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के दसवें भाव में राहु हो तो जातक कम पुत्र वाला, गलत कार्यों में पड़ा रहता है। शुभ परिणाम यह है कि 10 वे राज्य एवम पिता के भाव में राहु जातक के लिए पैतृक सुख और संपन्न कारक होगा। शनि की स्थिति शुभ होने पर जातक वीर, साहसी और संपन्न होगा।

🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के एकादश भाव में राहु हो तो जातक कर्ण रोगी होता है। शुभ परिणाम यह कि जातक लक्ष्मीवान दीर्घायु होता है ।उचित और अनुचित स्रोतों से धन की प्राप्ति होती है। ग्यारवें भाव का राहु बहुत लाभकारी होता है।

🔶 यदि जातक की जन्म कुंडली के द्वादश भाव में राहु हो तो जातक जल रोग से पीड़ित, खर्चीला और पापी तथा निकृष्ट होता है ।इस भाव में राहु होने पर जीवन में कष्ट हमेशा बने रहते हैं। कोई ना कोई रोग जातक को लगा रहता है। शुभ परिणाम यह है कि द्वादश भाव में राहु जातक को ऋण से मुक्त कराने के साथ-साथ धनी मानी और सम्मान युक्त बनाएगा।

🔶🔶राहु के भाव स्थिति के अनुसार उपाय-

🔶प्रथम भाव- जातक गुड़, गेहूं और कांसा मंदिर में दान करें तथा दूध से स्नान करें और समान मोटाई का चौकोर चांदी का टुकड़ा गर्दन में बांधे। पत्नी की कमर में चांदी की चेन डालें। श्याम शिवलिंग का अनुष्ठान 43 दिन तक कराएं। काले नीले वस्त्र ना पहने। बिल्ली की विष्ठा नारंगी रंग के कपड़े में बांधकर घर में रखें। सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करें। नारियल बहते पानी में बहाएं। रत्न चिकित्सा के अनुसार रोज क्वार्ट्ज पावर ग्रिड के नीचे अपना फोटो रखें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶 द्वितीय भाव- जातक अपनी जेब में चांदी की गोलियां रखें और मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। स्वर्ण के आभूषण पहने तथा घर के उत्तर पश्चिम भाग में चांदी या पानी रखें। पति-पत्नी पीले या नारंगी वस्त्र पहनकर केसर तिलक लगाएं। पत्नी हल्दी का उबटन 43 दिन तक लगाकर स्नान करें तथा पानी को प्रतिदिन घर के सामने कच्ची जमीन पर डाले। हाथ पैरों के नीचे की मिट्टी लेकर कुए में डालें ।माता की सेवा करके आशीर्वाद प्राप्त करें ससुराल से विद्युत उपकरण ना लें। रत्न चिकित्सा के अनुसार 2 रोज क्वार्ट्ज बाल चांदी की कटोरी में उत्तर पश्चिम भाग में रखें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶 तृतीय भाव- यदि जातक की कुंडली के तृतीय भाव में राहु स्थित है और अशुभ फल प्रदान करें तो जातक हाथी दांत से निर्मित वस्तुएं अपने पास न रखें। नियमित शिवजी की पूजा करें। माता, दादी, सास का आशीर्वाद प्राप्त करें बुजुर्ग महिलाओं की सेवा करें ।दूध चावल का दान करें। पवित्र नदियों में स्नान करें। श्मशान घाट पर चांदी या चावल डालें ।सूर्य को जल अर्पण करें। शिवलिंग पर 43 दिन तक सूर्योदय के पूर्व जल चढ़ाएं। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार रोज क्वार्ट्ज पावर ग्रिड के नीचे अपना फोटो रखें।
विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶चतुर्थ भाव- जातक की कुंडली में राहु चतुर्थ भाव में होने पर अशुभ फल प्रदान करे तो जातक हरिद्वार जाकर गंगा स्नान करें ।सीढ़ियों के नीचे रसोईघर न बनवाएं। सवा सौ ग्राम धनिया और बादाम बहते पानी में बहाए। चांदी के जेवर अधिक से अधिक पहने स्वर्ण बिल्कुल नहीं पहनना है। निर्माण कार्य शुरू करते हैं उसे जल्दी से जल्दी पूरा करवाएं ।सरस्वती की उपासना करें और प्रतिदिन नियमित ध्यान करें। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार जातक को रोज क्वार्ट्ज पेंसिल अपने बेडरुम में लाइट के नीचे बांधना है।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶पंचम भाव- यदि जातक की कुंडली में राहु पंचम भाव में अशुभ फल प्रदान करें तो जातक अपनी पत्नी से दोबारा विवाह करें क्योंकि इस भाव का राहु पति पत्नी से संबंध विच्छेद कराता है तथा दो शादियों के योग होते हैं ऐसा करने से योग टल जाते हैं ।चांदी का हाथी बनवाकर गले में पहने, हाथ में चांदी का कड़ा पहने, पत्नी को कमर में चांदी की चेन डलवाए ।पत्नी के सिरहाने 5 मुली रखें तथा प्रातकाल मंदिर में दान करें। घर के मुख्य द्वार के नीचे पूरी चौड़ाई में चांदी का पतरा भूमि में दबवाए। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार सात चक्र पिरामिड ग्रिड चांदी में बनवाकर उसके नीचे पति पत्नी का फोटो रखें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶 षष्ठ भाव- यदि किसी जातक की कुंडली में राहु षष्ठ भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान करें तो जातक रांगे की गोलियां अपनी जेब में रखें । घर तथा कार्यालय में काले शीशे लगवाएं तथा काला कुत्ता पाले। प्रतिदिन गणेश जी का ध्यान लगाएं। तांबे का सिक्का जेब में रखें या कमर में पहने। अपनी बहनों से हमेशा संबंध अच्छे रखें ।रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार रोज क्वार्ट्ज बाल तांबे की कटोरी में अपने बेडरूम में रखें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶 सप्तम भाव- यदि जातक की कुंडली में राहु सप्तम भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान करता है तो जातक घर में चांदी की ईंट रखें तथा बहते पानी में नारियल बहाए और कुत्ता ना पाले। पति या पत्नी शिवलिंग पर 45 दिन तक अभिषेक कराएं और प्रतिदिन शिवलिंग पर सूर्योदय के पूर्व जल चढ़ाएं। 21 वर्ष के पश्चात ऐसे जातक को विवाह करना चाहिए ।एक कांसे के बर्तन में चांदी का टुकड़ा लगा कर रखें और इसे सदैव पवित्र एवं शुद्ध जल से भर कर रखें। रत्न चिकित्सा एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार चांदी की प्लेट में रोज क्वार्ट्ज पिरामिड रखें। विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।

🔶 अष्टम भाव -यदि जातक की जन्म कुंडली में राहु अष्टम भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान करें तो जातक को 42 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष रागा का 8 सिक्के बहते पानी में डालना चाहिए। जेब में समान मोटाई का चौकोर चांदी का टुकड़ा रखें। जन्मदिन से नौवें महीने के प्रथम दिन से अगले जन्म दिन तक चार बादाम प्रतिदिन मंदिर में चढ़ा कर ले आए और बहते पानी में बहा दें। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार रोज क्वार्ट्ज बाल सीधे हाथ की जेब में रखें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।

🔶 नवम भाव- यदि जातक की जन्म कुंडली में राहु नवम भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान करें तो जातक नियमानुसार मंदिर में सर झुका कर ईश्वर को प्रणाम करें ।संयुक्त परिवार में रहें। स्वर्ण के आभूषण धारण करें। पति-पत्नी केसर का तिलक लगाएं। कुत्ता पाले। गुरु का उपाय करें। पत्नी से 43 दिन तक लक्ष्मी अनुष्ठान करवाएं । पत्नी 43 दिन तक हल्दी लगाकर स्नान करें। पति-पत्नी नारंगी के छिलके से दांत साफ करें। ससुराल पक्ष में मधुर संबंध बनाएं। पत्नी लंबे बाल रखें तथा पति चोटी धारण करें। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार रेड स्टोन से बना पावर ग्रिड पीतल की प्लेट में रखें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।

🔶 दशम भाव- यदि जातक की कुंडली में राहु दशम भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान करें तो जातक मसूर की दाल दान करें। शुद्ध चांदी का प्रयोग करें, चांदी के बर्तनों में भोजन ग्रहण करें तथा हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं। नीले रंग की टोपी या पगड़ी से सिर ढक कर रखें। प्रतिदिन नियमित प्राणायाम करें हनुमान जी का व्रत करें। 43 दिन तक काली जी का अनुष्ठान कराएं। ज्योतिष एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार चांदी का हाथी जिस पर लक्ष्मी यंत्र बना हो वह गले में धारण करें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶 एकादश भाव- यदि जातक की कुंडली में राहु एकादश भाव में स्थित है और अशुभ परिणाम दे रहा है तो जातक चांदी के आभूषण धारण करें, चांदी के बर्तन में दूध पिए। घर में अस्त्र-शस्त्र बिल्कुल ना रखें। तामसी भोजन प्याज, लहसुन एवं मांसाहार  का बिल्कुल  सेवन ना करें। लोहे का बिना जोड़ का छल्ला धारण करें। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार रॉक क्रिस्टल पेंसिल बेडरूम में लाइट के नीचे बांधे।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।
🔶द्वादश भाव- यदि किसी जातक की कुंडली में राहु द्वादश भाव में स्थित है और अशुभ फल प्रदान करें तो जातक चीनी और सोफ तकिये के नीचे रखें। चांदी का बना ठोस हाथी का खिलौना घर में रखें। घर के अंदर अंतिम सिरे पर अंधेरा कमरा बनवाएं। काली जी का अनुष्ठान तेरी 43 दिन तक करवाएं। खाना रसोईघर की भूमि पर बैठकर खाएं। रत्न एवं तंत्र चिकित्सा के अनुसार तांत्रिक क्रिया से सिद्ध करवाकर चांदी का हाथी गले में धारण करें।विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर मूंगा धारण करें।

 🔶🔶राहु के मंत्र

राहु के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए मंत्र चिकित्सा के अनुसार निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए। याद रहे  राहु की जप संख्या 18000 है। विभिन्न शास्त्रों के अनुसार राहु के जाप रात्रि में किए जाते हैं। यदि आप स्वयं जाप नहीं कर सकते तो आप किसी विद्वान ज्योतिष या तांत्रिक से जाप करवा सकते हैं। यह ध्यान रखें कि जप करने से पूर्व नीले रंग के पुष्प एवं चंदन से राहु की पूजा करें।

🔶राहु का वैदिक मंत्र –
ऊँ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा । कयाशश्चिष्ठया वृता ।

राहु का तांत्रोक्त मंत्र- "ऊँ ऎं ह्रीं राहवे नम:"🔸 "ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:"🔸 "ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम:"
🔶नाम मंत्र - ऊँ रां राहवे नम:
🔶राहु का पौराणिक मंत्र – ऊँ अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम ।सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम ।।

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