पितृदोष क्यों और कैसे-मनीष साई

🕉🕉पितृदोष क्यों और कैसे विशेष लेख-
🚩🚩व्यवसाय, नौकरी, विवाह एवम संतान कष्ट का कारक है पितृदोष जाने उपाय -मनीष साईं🚩🚩

सबको सभी विषयों की जानकारी नहीं होती और सब कुछ जानने वाला सर्वज्ञ कोई नहीं होता है। मनुष्य अपने व्यावहारिक जीवन में इतना मग्न हो जाता है कि उसे अपने कर्तव्य याद नहीं रहते। मनुष्य के कर्तव्यों में एक कर्तव्य है श्राद्ध कर्म । पितृ तर्पण और श्राद्ध से पितरों को संतुष्ट करना यह पुत्र का स्वधर्म है। ऐसा श्राद्ध  विचारों अनेक पुराणों के स्मृति ग्रंथों में है। फिर भी उस स्वधर्म को निभाने के लिए हमें समय नहीं मिलता।  हर साल में पितरों की तिथि को श्राद्ध तर्पण आदि कार्य न करने से पितृ असंतुष्ट होते हैं,और कुंडली में इसी कारण  पितृदोष उत्पन्न होता है।
सामान्यतः पितृ दोष के ज्योतिषीय कारण का निर्धारण जन्म कुंडली में प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम, दशम और नवम भाव तथा सूर्य,राहु और शनि ग्रहों के आधार पर होता है। जन्मपत्री में नवम भाव को पिता तथा पूर्वजो का भाव कहा गया है। यह भाव जातक के लिए भाग्य स्थान भी है। इस कारण इस भाव का विशेष रुप से महत्वपूर्ण हो जाता है। परम्परानुसार पितृ दोष पूर्व जन्म में किये गए कुकृत्यों का परिणाम है। इसके अलावा इस योग के बनने के अनेक अन्य कारण भी हो सकते है। सभी ज्योतिष ग्रंथों में पितृ दोष तथा उससे होने वाले कष्टों के सम्बन्ध में बताया है साथ ही किस ग्रहों के योग से यह दोष बनता है वह भी बताया है।ज्योतिष में सूर्य पिता का कारक है तथा राहु छाया ग्रह है जब राहु ग्रह की युति सूर्य के साथ होती है तो सूर्यग्रहण लगता है उसी प्रकार जातक की कुंडली में जब सूर्य तथा राहु की युति एक ही भाव अथवा राशि में होती है तो पितृ दोष नामक योग बनता है। पितृ दोष होने पर जातक (व्यक्ति) को संतान कष्ट, नौकरी तथा व्ययवसाय में दिक्कत, विवाह अथवा वैवाहिक कष्ट भोगना पड़ता है।

🔶🔶पितृदोष के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-

🔸(1)मातृ एवं पितृ ऋण- माता पिता की सेवा ना करना, अपमानित करना,धोखा देना, जुल्म अत्याचार करना, मारना, पीटना, हत्या करना, संपत्ति हड़पकर घर से निकालना उनकी बुराई करना यह सभी कृत्य भयंकर पाप की श्रेणी में आते हैं तथा इन पापों का परिणाम भोगना ही पड़ता है।

🔸🔸 पित्र दोष के प्रत्यक्ष लक्षण: आर्थिक तंगी, करियर में स्टेबिलिटी नहीं होना, घर में हमेशा क्लेश बना रहना, लगातार बीमार रहना, घुटनों में दर्द रहना तथा पेट से संबंधित बीमारियों का होना।

जातक की कुंडली में गृह स्थिति से पहचान:कुण्डली में 2, 9, 12 भाव और भावेश पर पापी ग्रहों का प्रभाव होता है या फिर भावेश अस्त या कमज़ोर होता है और उन पर केतु का प्रभाव होता है तब यह दोष बनता है।
🔸(2) बहन पुत्री का ऋण : बहन या पुत्री के साथ धोखा करना, उनकी इज्जत लूटना, जुल्म अत्याचार करना, हक दबाना, छीनना, हत्या करना, लालच में आकर उसे बेच देना। यह सभी कृत्य भयंकर पाप की श्रेणी में आते हैं तथा श्राप (ऋण) के रूप में भोगने ही पड़ते हैं।

🔸🔸पितृ दोष के प्रत्यक्ष लक्षण: आर्थिक तंगी, घर की बहन पुत्री के विवाह के समय दुर्घटना, मृत्यु, समय  से पहले वृद्धावस्था के लक्षण पिचके गाल, सफेद बाल, झुर्रियां पडऩा आदि दिखाई पडऩा, जीने की इच्छा न रहना, स्त्री का सुख न मिलना, ननिहाल या ससुराल के वंश का नाश होना, कोई नाम लेने वाला भी न रहना।

कुंडली की ग्रह स्थिति से पहचान:  कुंडली के 3 या 6 भाव में चंद्रमा होने पर बुध दूषित पीड़ित होता है और बुध ही ऊपर लिखे अशुभ फल देता है।

🔸(3) स्त्री ऋण : किसी लालच के कारण गर्भवती स्त्री की हत्या करना, उसे मारना, पीटना, लूटना, उसका अपमान करना या बलात्कार करना। यह सभी कृत्य भयंकर पाप की श्रेणी में आते हैं तथा इन पापों का परिणाम भोगना ही पड़ता है।

🔸🔸पितृदोष के प्रत्यक्ष लक्षण: सुख के समय मांगलिक बेला में किसी की मृत्यु होने पर दुख भोगना, अकारण रोने लगना। कुंडली में जब शुक्र पीड़ित होता है तो ऊपर लिखे फल भोगने पड़ते हैं।

कुंडली में सूर्य चंद्रमा राहु 2 या 7 भाव में होने से शुक्र दूषित होकर पीड़ित होता है यदि शुक्र 7 या 8  भाव में न हो। इसे स्त्रीऋण का कुंडली में प्रकट लक्षण समझना चाहिए।

🔸(4) निर्दयी का ऋण : किसी जीव की हत्या करना, किसी भी अचल  सम्पत्ति मकान, दुकान धोखे से छल से हड़प लेना, निराश्रितों को उनके आश्रय से भगाकर मकान दुकान बनवाना।

🔸🔸पितृदोष के प्रत्यक्ष लक्षण  : मकान बनवाते समय वर्षा शुरू होकर लगातार होती रहे, बंद न हो, जातक के परिवार में दुर्घटना, पलकों और भौहों के बाल झड़ाना, जातक के अपराध के कारण उसके परिवार या ससुराल वालों को पुलिस सताए, परिवार के सदस्य मृत्यु के कारण एक-एक कर काम होते जाना।

जातक की कुंडली की ग्रह स्थिति से पहचान : कुंडली के 10 या 11 भाव में सूर्य चंद्रमा मंगल के बैठने पर शनि दूषित पीड़ित होता है तथा इससे निर्दयी का ऋण प्रकट होता है।

🔸(5) ईश्वरीय ऋण : बुरी नीयत से कुत्तों को मारना या मरवाना, फकीरों साधुओं को कष्ट देना, धोखा, विश्वासघात षड्यंत्र कर किसी के वंशजों की हत्या करना, कबूतर मारना, व्यर्थ की जीव हत्या करना।

🔸🔸पितृदोष के प्रत्यक्ष लक्षण : जातक को दूसरों के पुत्रों का पालन करना पड़ रहा हो। यात्रा में या प्रवास में धन खो जाए या चोरी ठगी करके हड़प लिया जाए। परिवार में पुत्र संतान जन्म न ले, जन्म लेते ही लगातार रोगी रहे।

जातक की कुंडली की ग्रह स्थिति से पहचान : बृहस्पति केंद्र (1, 4, 7, 10) में हो तथा शनि 2, 3, 6 भाव में हो अथवा शुक्र 5, 6 भाव में हो अथवा बुध 3, 6 भाव में हो तो बृहस्पति दूषित (पीड़ित) होने से ऊपर लिखे ईश्वरीय ऋण के लक्षण  प्रकट होते हैं कुंडली में 2, 5, 7 में से किसी भाव में बुध शुक्र राहु हों तो बृहस्पति पीड़ित होता है। मकान के पड़ोस में कोई मंदिर या पीपल का पेड़ नष्ट करने से पितृदोष बनता है।

🔷पितृदोष का प्रभाव कम करने के उपाय🔷

आमतौर पर पितृदोष का प्रभाव कम करने के लिए कई उपाय बताए जाते हैं। लेकिन आज मैं आपको ऐसे कई  उपाय बता रहा हूं ,जिनसे पितृदोष प्रभाव कम हो सकता है। वैसे पितृ दोष का सबसे प्रमुख उपाय नासिक के पास 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख भगवान शिव का प्रसिद्ध स्थल "त्र्यम्बकेस्वर" हे ,यहां पहुंच कर नारायण-नागबली पूजा कराएं। यह पूजा 3 दिन तक चलती है कई पंडित पैसा कमाने के लालच में यह पूजा 1 दिन में कर देते हैं जो की बिल्कुल गलत है। देश विदेश से हजारों लोग इस पूजा में प्रतिदिन सम्मिलित होते हैं। इस पूजा का फल जातक को तुरंत मिलता है। उसकी कुंडली से पितृ दोष खत्म हो जाता है। लेकिन फिर भी आप यदि है पूजा करने में असमर्थ है, तो कुछ उपाय मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं जो कि बेहद आसान हैं, इन्हें आप कर सकते हैं।

🔸 मातृ एवं पितृ ऋण वाले जातक बुजुर्गों का सम्मान करें, माता पिता की सेवा करें , वृद्धाश्रम में वृद्धों को भोजन कराएं और त्रियंबकेश्वर मैं 3 दिन की नारायण नागबली पूजा करें तथा श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध करें।
🔸 ईश्वरीय ऋण वाले जातक नासिक के पास त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में जाकर  3 दिन की नारायण नागबली पूजा करें  एवं  तत्काल राहत पाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों से समान पैसा चंदा करके एक ही दिन में लगभग 100 कुत्तों को रोटी खिलाएं। विधवा स्त्री की सेवा करें। कोई काम करने से पहले नाक साफ करें। बृहस्पति की पूजा करें। पितरों का श्राद्ध  करें।

🔸बहन पुत्री का ऋण वाले जातक परिवार के सभी सदस्यों से समान रूप से चंदे का पैसा इकट्ठा कर बुध के दिन यथाशक्ति 11 से लेकर 101 कन्याओं को हलवा-पूरी खिलाकर दक्षिणा देने तथा कन्याओं का आशीर्वाद लेने से ऋण मुक्ति हो जाती है ध्यान रहे कि यह कार्य पूर्ण श्रद्धा से किया जाना चाहिए।

🔸 निर्दयी का ऋण वाले जातक शाकाहारी जातक परिवार के सभी सदस्यों के समान पैसा चंदे के रूप में एकत्रित कर किसी दिन एक साथ एक ही समय में 100 से अधिक मजदूरों को भोजन कराएं अथवा कौओं को लगातार 43 दिन तक भोजन खिलाएं। (मासांहारी जातकों के लिए) सौ स्थानों की मछलियों को खाने हेतु आटे की सूखी गोलियां डालें।इन उपायों से शनि के दोष का निवारण होता है।

🔸 स्त्री ऋण वाले जातक परिवार के सभी सदस्यों समान पैसे चंदे के रूप में इकट्ठा करके एक ही दिन एक ही समय में 101 गायों को चारा दाना खिलाने से मुक्ति मिल सकती है किन्तु ध्यान रहे कि कोई भी गाय अंगहीन न हो।

🔶🔶पित्र दोष के सामान्य उपाय जो आप आसानी से कर सकते हैं-

🔸 पितृ -दोष मुक्ति निवारण यंत्र घर में रखें और प्रतिदिन उसकी पूजा करे एवं ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करे।  

🔸कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाना चाहिए और रोजाना उनकी पूजा करनी चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

🔸अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं। इसी दिन अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।

🔸पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।शाम के समय में दीप जलाएं ।

🔸 नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।

🔸सोमवार सुबह स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है।

🔸प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।

🔸कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।

🔸ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गो दान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए प्याऊ लगवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।

🔸पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भावगवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।

🔸 सोमवार के दिन बुजुर्ग आश्रम जाएं अथवा ऐसे बुजुर्ग जिनका कोई नहीं है उन्हें भोजन दान करें, वस्त्र दान करें। रात्रि को शयन करने से पूर्व अपने पितरों से अपनी गलतियों की माफी मांगे और प्रायश्चित करें।

🔸2. दूसरों की बुराई ना करें ।आयु और ज्ञान में श्रेष्ठ व्यक्ति की मजाक, हंसी, नकल उतारने से भी सूर्य दूषित पीड़ित होता है अत: इससे बचें।

🔸1. कुंडली में यदि सूर्य खराब अशुभ स्थिति में हो, राहु केतु शनि से दूषित पीड़ित (अशुभ योग संबंध केंद्र षडाष्टक, द्विद्वादश, प्रतियोग) में हो तो सूर्य जिस वस्तु का कारक है जैसे खनिज पत्थर, शिव, पशु, वन पर्वत, वृक्ष-वनस्पति को घर या घर के सामने अथवा आसपास में स्थापित करें।

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