जाने जूते- चप्पल कहां पहनकर जाना है, और कहां नहीं, नहीं तो हो जाएंगे आप गरीब :मनीष साई

जाने जूते- चप्पल कहां पहनकर जाना है, और कहां नहीं, नहीं तो हो जाएंगे आप गरीब :मनीष साई

2002 में अमृतसर में  जब मैं वास्तु पर सेमिनार कर रहा था तो मैंने देखा कि  एक पंजाबी परिवार किसी आत्मा के प्रकोप से पीड़ित है। उस घर में ऐसी घटनाएं घटित होती है  जो कि  सुनकर हैरान कर देती है।  बाद में  मेरे द्वारा इस पर  कई दिनों तक रिसर्च की गई घटनाओं का क्या कारण था तो पता चला कि एक बुरी आत्मा का प्रवेश घर में हो गया वाकिया यह था कि इस परिवार का एक सदस्य किसी की अंतेष्टि में शामिल हुआ और शमशान से घर आया। जो जूते उसने शमशान में पहने थे, वही पहन कर बेडरूम में चला गया। नकारात्मक उर्जा उसके बेडरूम तक पहुंच गई और उसकी इस गलती ने पूरे परिवार को कष्ट में डाल दिया। बाद में मैंने शास्त्रों का अध्ययन किया तो कई बातें सामने आई भारतीय शास्त्रों में कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताया गया है, जहां जूते-चप्प्ल पहनकर जाना निषिद्ध है। यदि उन स्थानों पर नंगे पांव न जाया जाए तो उस जगह का निरादार तो होता है साथ ही व्यक्ति अनजाने में पाप का भी भागी बनता है। घर में भी कुछ ऐसे स्थान हैं। वहां अगर जूते-चप्प्ल उतार कर न जाया जाए तो गरीबी उस घर से कभी बाहर नहीं जाती। भारतीय वास्तु शास्त्र, चाइनीज वास्तु शास्त्र, एवं रेमेडियल वास्तु के सिद्धांतों में यह बात स्पष्ट तौर पर बताई गई है कि घर में चप्पल जूते पहनकर बिल्कुल नहीं जाना चाहिए आप बाहर पहनने वाली चप्पल घर के बाहर ही रखें और घर के अंदर पहनने वाली घर के अंदर ही रखें। बाथरूम की चप्पल अलग होना चाहिए और घर में पहनकर घूमने वाली चप्पल भी अलग होना चाहिए। कई बार यह देखा जाता है कि व्यक्ति टॉयलेट में जो चप्पल लेकर जाता है वही पहन कर घर के पूजास्थल और किचन तक पहुंच जाता है। यह भी नकारात्मक उर्जा का कारण बनता है क्योंकि वास्तु में टॉयलेट को नकारात्मक उर्जा का स्त्रोत माना गया है।

🔶 बाहर से आप घर लौटते हैं तो जूते-चप्पल अपने घर के बाहर ही उतारे नहीं तो नकारात्मक उर्जा उनमें चिपक कर घर के किसी भी हिस्से में पहुंच जाएगी और आपके जीवन को बर्बाद कर देगी। जूते चप्पल रखने का स्थान घर के बाहर ही बनाएं।

🔶तिजोरी अथवा अपने धन रखने के स्थान पर जूते उतार कर जाना चाहिए क्योंकि धन को देवी लक्ष्मी के समान माना जाता है और उनके पास जूते पहनकर जाने का अर्थ है उनका अनादर करना। जहां लक्ष्मी का अनादर होगा वो उस स्थान को त्याग देती हैं।

🔶पवित्र नदी को देवी स्वरूप माना गया है। उसमें जूते-चप्पल अथवा चमड़े से बनी चीजें पहनकर जाने से पाप लगता है।

?स🔶 किचन में नंगे पैर ही प्रवेश करें। स्मरण रहे किचन व्यवस्थित, शुद्ध और साफ-सुथरा होना चाहिए। ऐसे किचन में देवी-देवता अपना स्थाई वास बना लेते हैं जिससे घर में कभी भी धन और सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती।

🔶स्टोर रूम यानी भंडार घर में देवी अन्नपूर्णा का वास माना जाता है। उसका रख-रखाव भी रसोई की भांति ही करना चाहिए अन्यथा घर में कभी अन्न की बरकत नहीं होती।

🔶श्मशान में जब किसी को अंतिम विदाई देनी हो तो वहां भी जूते पहन कर नहीं जाना चाहिए।

🔶अस्पताल में किसी संबधी का हाल पूछने जाएं तो उसके कमरे में भी जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाना चाहिए।  

🔶 घर में देवी-देवताओं का स्थान होता है। वहां दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। ऐसे में जूते-चप्पल पहनकर घर में घुमते हैं तो उनका अपमान होता है।

🚩🚩 सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है साईं अन्नपूर्णा धाम सेवा के कार्यों को देश-विदेश में अलग अलग ढंग से कर रहा है भूखे को भोजन प्यासे को पानी तथा जीव जंतुओं की रक्षा के लिए कई सेवा प्रकल्प चलाए जा रहे हैं यदि आप इनमें अपनी सहभागिता रखना चाहते हैं तो हम आप को आमंत्रित करते हैं इन कार्यों में सहभागी बने पुण्य अर्जित करें प्रत्येक रविवार को प्रातः 8:00 बजे साईं अन्नपूर्णा धाम में परम पूज्य गुरुदेव श्री मनीष साई जी का दरबार लगता है ।जहां देश-विदेश से लोग इस दरबार में शामिल होते हैं ।जो भी लोग दरबार में शामिल हुए हैं उनके जीवन में सत प्रतिशत लाभ हुआ है। परिवर्तन आया है। आप भी इस दरबार का हिस्सा बन सकते हे श्री मनीष साईं जी द्वारा कैंसर के रोगियों को अभिमंत्रित जल भी प्रदान किया जाता है जो की दवा और दुआ का अद्भुत संगम है हजारों कैंसर के रोगियों के जीवन में इस अभिमंत्रित जल से उनकी पीड़ा कम हुई है 🚩🚩
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साईं अन्नपूर्णा धाम
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