केतु के प्रकोप से बचाव के अचूक उपाय :मनीष साईं

🔶🔶विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष एवं वास्तु गुरु से जानिए-

🚩🚩केतु के प्रकोप से बचाव के अचूक उपाय :मनीष साईं🚩🚩

शनि ग्रह की भांति ही केतु भी क्रूर ग्रह है। छाया ग्रह होने के बावजूद भी यह बहुत शक्तिशाली है। ग्रहों के अधिपति सूर्य तथा पूर्णचंद्र को भी यह अपना ग्रास बना लेता है। यह प्रत्यक्ष प्रभाव देने वाले दुख एवं शोक के प्रतीक महाभयानक एवं मारक ग्रह है। इसके प्रकोप से जैसे मनुष्य पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ता है। इस क्रूर ग्रह की शांति और इनसे मुक्ति के लिए मेरा यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। यह चन्द्रमा के पथ का द्योतक है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार इसे नवग्रह में से एक छायाग्रह माना जाता है। व्यक्ति के जीवन-क्षेत्र को यह प्रभावित करता है। केतु का मंडल ध्वजाकार माना गया है। केतु की आकृति सिर रहित है। यानी केतु गर्दन से नीचे के भाग का अधिकारी है। केतु ग्रह भी राहु ग्रह की भांति सौर मंडल में विचरने वाला कोई आकाशीय पिंड नहीं है। भारतीय ज्योतिष में इसे नवग्रह में स्थान दिया गया है। राहु की तरह ही यह भी एक छाया ग्रह ही है। यह तमोगुण स्वभाव वाला मलीन रूप वाला या आचारहीन अशुभ ग्रह है। इसकी जाति वर्ण संकर है। यह शास्त्रों का अधिनायक है।इसमें चर्म रोग और गुप्त षड्यंत्र आदि का विचार किया जाता है। यह गुप्त शक्ति बल कठिन कर्म है तथा कमी का कारक है।
सभी ग्रहों में केतु को अंतिम ग्रह माना जाता है. कहा जाता है कि केतु मंगल जैसा फल देता है। केतु के साथ मंगल जैसी सौम्यता, बुध जैसी चंचलता और बृहस्पति जैसी बौद्धिकता पाई जाती है।

🔶🔶भाव अनुसार केतु की स्थिति-

1. प्रथम भाव में जो कि लग्न भाव होता है केतु जातक को भ्राता क्लेश देगा तथा शरीर वात व्याधि से ग्रसित रहेगा। पारिवारिक विचारों में स्थिरता नहीं होगी, संतान की चिंता बनी रहेगी। लग्न का केतु हो तो जातक, चंचल, भीरू, दुराचारी तथा वृश्चिक राशि में हो तो सुख कारक धनी एवं परिश्रमी होता है।

2. दूसरे भाव में धन अथवा कुटुंब के भाव में मिथुन या कन्या का द्वितीय भावस्थ केतु जातक के लिए शुभ होगा। किंतु मुख रोग पैदा करेगा तथा मित्रों से मतभेद उत्पन्न करेगा। 28 वर्ष की आयु के बाद धन संग्रह कराएगा। दूसरे भाव में केतु राजभीरु, विरोधी होता है।

3. तीसरा भाव पराक्रम का होता है इस भाव में केतु जातक को धन संपत्ति की प्राप्ति कराएगा। यह भुजा में कष्ट भी देगा। भक्त और परोपकारी बनाएगा। मंगल बारहवें भाव में होने पर 28 वर्ष की आयु में पुत्र रत्न प्रदान करेगा। इस भाव का केतु चंचल, वात रोगी तथा व्यर्थ वादी होता है।

4. चतुर्थ भाव माता-पिता एवं भूमि का होता है, इस भाव में होने पर यह मातृ- सुख से वंचित करेगा। पैतृक धन में कमी लाएगा। बंधुओं से सुख की प्राप्ति होगी।पुत्र उत्पत्ति में विलंब पैदा करेगा। इसका स्वभाव, चंचल, वाचाल, निरुत्साई होता है।

5. पांचवा भाव विद्या एवं संतान का होता है, इस भाव में केतु जातक को भ्राताओं से मतभेद कराएगा। वात रोगी भी बनाएगा। दूसरों के लिए सेवा भाव उत्पन्न करेगा। दीर्घ परिवार बनाएगा और पुत्र रत्न देगा। इस भाव के केतु का स्वभाव कुबुद्धि होता है।

6. षष्ठ भाव रोग एवं शत्रु का होता है, इस भाव में केतु जातक को मामा पक्ष के सुख में कमी लाएगा। पशुओं के लिए शुभकारक तथा शरीर स्वस्थ बनाएगा। वृद्धावस्था में चिंताएं प्रदान करेगा। यह शुक्र के साथ युक्त होने पर शुभ नहीं होगा। इसका स्वभाव वात विकारी, झगड़ालू और मितव्यई होता है।

7. सप्तम भाव पत्नी एवं व्यवसाय का होता है, इस भाव में केतु जातक को जल से भय बनाकर रखेगा। यदि केतु वृश्चिक राशि का हो तो 14 वर्ष की आयु में शत्रु कारक बन जाएगा। पारिवारिक मतभेद भी करवायेगा और अपशब्दों का प्रयोग भी करवाएगा। इस भाव में केतु का स्वभाव मतिमंद शत्रुभीरू एवं सुखहीन होता है।

8. अष्टम भाव आयु एवं पुरातत्व का होता है, इस भाव में केतु जातक को अधोरोगकारक बनाएगा। सवारी से भय बना रहेगा। कन्या और मिथुन का होने पर शुभ होता है। मृत्यु का पूर्वाभास भी कराएगा। पत्नी सुख से वंचित करेगा। आठवें भाव में इसका स्वभाव दुर्बुद्धि, तेजहीन, स्त्री द्वेषी एवं चालाक होता है।

9. नवम भाव भाग्य एवं धर्म क्या होता है, इस भाव में केतु जातक को क्लैश उत्पन कराएगा। निम्न स्तर के व्यक्तियों यानी कर्मचारियों से धन प्राप्ति कराएगा। परिवार का पोषक भी बनाएगा। 48 वर्ष की आयु में स्थिति में परिवर्तन कारक होगा। इस भाव में केतु का स्वभाव सुखभिलाषी, अपयशी होता है।

10. दशम भाव पिता एवं राज्य का होता है, इस भाव में केतु जातक के चेहरे को निशान युक्त बनाएगा। पैतृक सुख से वंचित कर रखेगा। शत्रुओं को पराजित रखेगा। अवसरवादी और छठे भाव में शनि होने पर खिलाड़ी भी बनाएगा। इस भाव में केतु का स्वभाव पितृ द्वेषी, भाग्यहीन होता है।

11. एकादश भाव लाभ का होता है, इस भाव में केतु जातक को बहुत लाभदायक होगा। किंतु संतान कष्ट प्रदान करेगा। उदर रोगी और भविष्य के लिए चिंता कारक बनाएगा। इस भाव में केतु का स्वभाव भाग्यवान, विद्वान एवं उत्तम गुणों वाला तथा तेजस्वी होता है।

12. बारहवा भाव व्यय का होता है, इस भाव में केतु जातक को राजा के समान बनाएगा। नेत्र रोग भी देगा। मामा पक्ष से मतभेद बनाए रखेगा। चंद्र द्वितीय भाव में होने पर शुभ फल कारक होगा। इस भाव के केतु का स्वभाव बुद्धिमान, धोखा देने वाला तथा शक्की मिजाज होता है।

🔶🔶भाव अनुसार केतु के प्रभाव से बचने के उपाय-

1- यदि जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु प्रथम भाव में अशुभ फल प्रदान करें तो, जातक चितकबरा कुत्ता पाले तथा गली का आखरी मकान में वास ना करें। अपनी जेब में लाल रुमाल रखें। शिवजी की आराधना तथा अभिषेक कर दूध चावल दान दें।माता-पिता, दादी, सास का आशीर्वाद ले। गंगा जी में स्नान करें। बुध के उपाय करें। बंदर को गुड़ खिलाएं। काला सफेद कंबल मंदिर में दान करें। पति-पत्नी केसर का तिलक लगाएं। पति-पत्नी पैरों के अंगूठे में चांदी का छल्ला पहने। गणेश जी की उपासना करें। शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथी को केतु के निमित्त व्रत रखें। रत्न चिकित्सा के अनुसार केतु पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें तथा लहसुनिया धारण करें।

2- यदि जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु द्वितीय भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक 9 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं की सेवा करें। स्वर्ण धारण करके केसर का तिलक लगाएं। नारंगी के छिलके से दांत साफ करें। कान छिदवा कर सोना पहने। चरित्र ठीक रखें ।भैरवजी की उपासना करें। केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं।रत्न चिकित्सा के अनुसार केतु पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें तथा लहसुनिया धारण करें।

3- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु तृतीय भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक स्वर्ण आभूषण पहनकर दूध, चावल, गेहूं और चने की दाल बहते पानी में छोड़े। सूर्य की वस्तुएं पुरोहित को दान दें।। चितकबरा कुत्ता पाले। पति-पत्नी चांदी पहने। श्याम शिवलिंग का अनुष्ठान 43 दिन तक करवाएं। गाय के घी का दीपक प्रतिदिन शाम को जलाएं।रत्न चिकित्सा के अनुसार केतु पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें तथा लहसुनिया धारण करें।

4- यदि जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु चतुर्थ भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक कुल पुरोहित की सेवा करें। मंदिर में केले चने की दाल का दान करें। सूर्य की वस्तुएं पुरोहित को दान करें। गुरु की वस्तुए पानी में बहाए। चितकबरा कुत्ता पाले। पति-पत्नी चांदी के जेवर पहने।  श्याम शिवलिंग का अनुष्ठान 43 दिन तक करें। हरा रुमाल सदैव अपने साथ में रखें।रत्न चिकित्सा के अनुसार केतु पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें तथा लहसुनिया धारण करें।

5- यदि जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु पंचम भाव में होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक गुरुवार का व्रत रखें। विष्णु जी की पूजा करता हुआ पीपल को पानी दे। ब्राह्मण, साधु और कुल पुरोहित, गुरु की सेवा करता रहे। फूलों के पौधे लगाएं तथा शनि से संबंधित वस्तुएं सरसों का तेल, काली उड़द, कोयला, पत्थर, काला नमक आदि बंद करके ना रखें।लोहे के संदूक खुले रखे। दरवाजे में लोहे के ताले ना लगवाएं। चंद्रमा और मंगल की वस्तुएं दान करें। गुरु का उपाय करें। चितकबरा कुत्ता पाले। पति-पत्नी चांदी के आभूषण पहने। श्याम शिवलिंग का 43 दिन तक अनुष्ठान करवाएं। तिल के लड्डू सुहागिनों को खिलाएं और तिल का दान करें।रत्न चिकित्सा के अनुसार केतु पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें तथा लहसुनिया धारण करें।

6- यदि जातक की कुंडली में केतु षष्ठ भाव मैं अशुभ फल प्रदान करता है तो जातक ससुराल पक्ष से मिली अंगूठी को बाएं हाथ की अंगुली में पहने। कुत्ता पाले। गुरु का उपाय करें। कान में पति-पत्नी सोना पहने। पति-पत्नी केसर का तिलक लगाएं। पत्नी को हल्दी लगाकर स्नान कराएं।कन्याओं को रविवार के दिन मीठा दही और हलवा खिलाएं।रत्न चिकित्सा के अनुसार केतु पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें।

7- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु सप्तम भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक चार दिन तक चार इधन के टुकडे बहते पानी में बहाए।  4 दिन तक चार- चार नींबू बहते पानी में बहाए।सोना धारण करें। बरफी के चार टुकड़े बहते पानी में बहाएं। केसर का तिलक लगाएं। 43 दिन तक लक्ष्मी जी का अनुष्ठान कराएं। केतु पावर ग्रिड के नीचे अपना फोटो रखें।

8- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु अष्टम भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक पूजा स्थलों में काले सफेद रंग के कंबल दान करें। शमशान भूमि में काले रंग का कंबल  टुकड़े कर उसे दबाए। गणेश जी की उपासना करें। कुत्ता पाले। कान में सोना पहने, केसर का तिलक लगाएं। गुरु का उपाय करें। कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन शाम को एक दोने में पके हुए चावल लेकर उस पर मीठा दही डाल लें और काले तिल के कुछ दानों को रख दान करें। यह दोना पीपल के नीचे रखकर केतु दोष शांति के लिए प्रार्थना करें। केतु पावर ग्रिड के नीचे अपना फोटो रखें।

9- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु नवम भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक कानों में स्वर्ण की बाली पहने, तथा घर में स्वर्ण रखें। कुत्ता पाले। गुरु का उपाय करें। केसर का तिलक लगाएं। लक्ष्मी अनुष्ठान कराएं। पीपल के वृक्ष के नीचे प्रतिदिन कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। गोरी पुखराज धारण करें।

10- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु दशम भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करें तो जातक घर की नींव के पत्थर के नीचे दूध एवं शहद रखें तथा 48 वर्ष की आयु के पश्चात घर में कुत्ता पाले। गुरु के उपाय करें। पर स्त्री गमन से बचे, चंद्रमा का उपाय करें, पति पत्नी चांदी पहने, लक्ष्मी एवं शिवलिंग का अनुष्ठान करवाएं। दो रंग के कंबल किसी गरीब को दान करें। गोरी पुखराज धारण करें।

11- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु अशुभ होकर एकादश भाव में बैठकर अशुभ फल प्रदान करे तो जातक काला कुत्ता पाले तथा सेवा करें। दामाद, साला, भांजे की यथाशक्ति सहायता करें। 45 दिन तक अपने सिराने दो मूली रखकर सोए तथा प्रातः मंदिर में दान करें।बुध का पत्थर बुधेश्वर पन्ना धारण करें। ग्रीन स्टोन पावर ग्रिड के नीचे अपना फोटो रखें।

12- यदि किसी जातक की कुंडली में किसी भी राशि का केतु द्वादश भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान करे तो जातक चितकबरा कुत्ता पाले, अपने अंगूठे को दूध में डुबोकर मुंह में चूसे। संतान कष्ट होने पर राहु का उपाय करें। संतान पक्ष के प्रति लापरवाही ना बरते। केतु पावर ग्रिड के नीचे अपना एवम संतान का फोटो रखें।

🔶🔶केतु का मंत्र : 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:'।
( केतु के मूल मंत्र का रात्रि में 40 दिन में 18,000 बार जप करें।)

🔶🔶केतु का महत्वपूर्ण रत्न : लहसुनिया, केतु पावर ग्रिड।

🔶🔶 केतु की दशा में सबसे अधिक लाभ: भगवान गणेशजी की पूजा करें। गणेश के द्वादश नाम स्त्रोत का पाठ करें।
मैं
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