घर का प्रवेश द्वार वास्तु अनुसार नहीं होने से जीवन होता है कष्टमय -मनीष साईं

🚩🚩 घर का प्रवेश द्वार वास्तु अनुसार नहीं होने से जीवन होता है कष्टमय -मनीष साईं 🚩🚩

किसी भी घर में प्रवेश द्वार का विशेष महत्व होता है। प्रवेश द्वार की स्थिति वास्तु सम्मत होती है तो उसमें रहने वालों का स्वास्थ्य, समृद्धि सब कुछ ठीक रहता है और अगर यह गलत हो तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है। तो क्यों न वास्तु का खयाल रख कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।

प्रवेश द्वार भवन का अहम भाग होता है। कहते हैं कि आरंभ अच्छा तो अंत अच्छा। जिस तरह भवन निर्माण से पूर्व भूमि का पूजन किया जाता है, उसी तरह भवन की चौखट अर्थात द्वार प्रतिस्थापना के समय भी पूजा की जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है। मतलब यह कि भवन निर्माण में प्रवेश द्वार का विशेष महत्व होता है। प्रवेश द्वार अगर वास्तु नियमों के अनुसार बनाया जाए तो वह उस घर में निवास करने वालों के लिए खुशियों को आमंत्रित करता है। यही नहीं, प्रवेश द्वार से हमें भवन के आंतरिक सौष्ठव और साज-सज्जा का अंदाजा भी हो जाता है।अगर आप भी अपने घर में खुशियों को आमंत्रित करना चाहते हैं तो प्रवेश द्वार को वास्तु सम्मत अवश्य बनाएं। मैंने अपने 20 साल के वास्तु के अनुभव में देखा है कि लोग उत्तर उत्तर-पूर्व और पूर्व की ओर प्रवेशद्वार रखकर यह सोच लेते हैं कि उन्होंने वास्तु सम्मत मकान बनाया है लेकिन ऐसा नहीं है प्रवेश द्वार के उत्तर पूर्व में होने व मकान के पूर्वमुखी होने के पश्चात् भी कई बार व्यक्ति धन की कमी व मानसिक अशांति के दौर से अपना पीछा नहीं छुड़ा पाते हैं, तो उसका कारण एक प्रमुख वास्तुदोष वेध हो सकता है।

जनसाधारण को इस वास्तुदोष के बारे में जानकारी न रहने के कारण कई बार व्यक्ति अपने भाग्य को द्वार खोलने में असमर्थता महसूस करता है। उसका जीवन अनेक संघर्षों से घिरा रहता है। वेध को सरल भाषा में ऑब्सट्रक्शन या रुकावट कह सकते हैं। इस दोष को जानने के बाद उसके ठीक करके हम अपने जीवन की खुशियों की रुकावटें चंद दिनों में ही दूर कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार की बाधाओं में घर के मुख्य द्वार के सामने की बाधा को सबसे प्रमुख वेध दोष माना जाता है।

दरअसल, हमारे ईशान कोण के मुख्य द्वार के होने पर भी यदि मुख्य द्वार के सामने पीपल इत्यादि कोई बड़ा वृक्ष है, कॉलोनी की बिजली सप्लाई का मुख्य बिजली का खंभा है, या टेलीफोन का खंभा है या कोई बड़े साइज की पानी की टंकी है, तो सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में गतिरोध उत्पन्न हो जाएगा व रोगों का घर में आगमन शुरू होने का आशंका होती है। घर के बच्चों की पढ़ाई व तरक्की में यह प्रमुख रूप से बाधाएं डालती है, ऐसा देखने में आता है। इसलिए मकान को मुख्य द्वार के सामने कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। यदि कोई बाधा मकान की ऊंचाई से कम से कम दोगनी दूरी पर हो तभी द्वार वेध के दोष से बचा माना जा सकता है।

यदि हमारे द्वार के खोलने या बंद होने के समय दरवाजे से कर्कश आवाज आती है, या दरवाजा दीवार अथवा फर्श से रगड़ता हुआ शोर करता है, तो यह भी बाधा दोष है। इससे घर के सदस्यों के मध्यकलह की आशंका होती है।

मकान के चारों कोण भी ध्यान से देखने चाहिए कि कोई कोण 90 डिग्री से बड़ा या छोटा नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह भी वास्तुशास्त्र में रुकावट दोष ही है, व इसका समाधान भी वास्तुशास्त्र में बताया गया है। कई बार मकान व कोठियों में पड़ोसी अपनी गाय, बकरी, कुत्ता आदि को बांधने के लिए लोहे का मोटा खूंटा अपने मकान के मुख्य द्वार से सटाकर ही गाड़ देते हैं, जो भी वास्तु की दृष्टि से दोष ही है। इससे भी वहां रहने वाले लोगों की उन्नति में अनेक बाधाएं आती हैं, ऐसा पाया गया है।

यदि कोई आटा चक्की या तेल निकालने की मशीन या कोल्हू आपके मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने है, तो मुख्य द्वार को स्थानान्तिरत कर लेना चाहिए। उसे थोड़ा शिफ्ट करा लेना चाहिए और अगर ऐसा संभव नहीं है, तो ऐसे में जरूरी वास्तु उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए। वरना ऐसे घर के गृहस्वामी का जीवन सुचारू रूप से नहीं चल पाता है व पारिवारिक कलह बना रहता है।

द्वार वेध व अन्य वेधों के अतरिक्त वास्तुशास्त्र में छाया को भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कई बार प्रायोगिक रूप से देखा गया है कि कॉलोनी में बने मंदिर की छाया अगर कोठी या मकान पर सुबह दस से दोपहर तीन बजे के बीच में पड़ रही है, या मंदिर के गुम्बद या ध्वज की छाया पड़ रही है, तो यह विशेष बाधा दोष उस भवन में रहने वाले सगे भाइयों के बीच मनमुटाव कराने का दोषी माना जाता है। व्यवसाय में नुकसान तो निस्संदेह होता ही है, साथ ही संतान की शादी में भी देरी होती है।
मंदिर छाया के अतिरिक्त अपने मकान से तीन-चार गुने बड़े मकान की छाया या पहाड़ की छाया या किसी वृक्ष की छाया भी यदि दोपहर में किसी भवन पर पड़ती है, तो इसे प्रमुख वेध के रूप में माना गया है व इसका समाधान जरूर करवा लेना चाहिए।

मकान के सामने किसी शमशान गृह अथवा पुलिस स्टेशन या अस्पताल या बच्चों का स्कूल होने को भी वास्तुशास्त्र में रुकावट माना गया है, व ऐसे भवन में रहने वाले लोगों की जिंदगी में उन्नति न होकर अनेक रुकावटें देखी गई हैं। यदि कोई गली आगे जाकर बंद हो जाती है, तो गली के अंत में बनी कोठी अथवा भवन में किसी वरिष्ठ सदस्य या बुजुर्ग सदस्य की मृत्यु अचानक होने का दोष देखा गया है। ऐसे भवन को कैदी भवन कहते हैं, इसे रिहायशी प्रयोग में लाने से पहले इसका वास्तु दोष ठीक कराना बहुत ही जरूरी होता है।

लोहार की भट्टी, धोबी की दुकान, मोटर गैराज या कबाड़ इत्यादि के गोदाम का भवन के अथवा मुख्य द्वार के सामने होने को भी वेध यानी बाधा माना गया है। घर के आंगन में तुलसी तो अवश्य लगानी चाहिए पर बेर,अंगूर,केले,आम,खजूर इत्यादि के पेड़ लगाने से बचना चाहिए। इसी प्रकार इमली अथवा कनेर का पेड़ मुख्य द्वार के सामने कभी भी नहीं लगाना चाहिए। इसी प्रकार कैक्टस, बरगद, मदार, आक इत्यादि भी नहीं लगाने चाहिए। उपरोक्त वेध दोषों को मामूली उपायों से सही कर व्यक्तिगत जीवन में खुशहला बनाया जा सकता है।

🔺यदि आपका प्रवेशद्वार इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको लगता है कि वास्तु सम्मत नहीं है तो आप सही अन्नपूर्णा सोशल फाउंडेशन के WhatsApp नंबर पर आपके घर के फोटो मुख्य द्वार के भेज सकते हैं तथा घर का वास्तु भी हाथ से सादे पर पर नक्शा बनाकर भेज सकते हैं यदि आप बहुत ज्यादा परेशानी में है तो गुरुदेव मनीष साई जी की वास्तु विजिट भी करवा सकते हैं तथा ज्योतिष एवं तंत्र संबंधी परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं।
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