घर में शिवलिंग रखने के पहले ध्यान रखें इन बातों का-मनीष साई


शिव पूजा पर विशेष-

घर में शिवलिंग रखने के पहले ध्यान रखें, शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाने से पुण्य नहीं बल्कि लगता है पाप- मनीष साईं

शिव महापुराण के अनुसार शिव एकमात्र ऐसे स्वरुप हैं जो दैवीय शक्ति हैं अर्थात जो निष्कल व सकल दोनों हैं। यही कारण है कि एकमात्र शिव का पूजन लिंग व मूर्ति दोनों रूपों में किया जाता है। सनातन धर्म में देवों के देव महादेव पुकारे जाने वाले शिव मूर्त या सगुण और अमूर्त या निर्गुण रूप में पूजे जाते हैं अर्थात शिव ऐसी दैवीय शक्ति हैं, जिनका पूजन साकार और निराकार दोनों ही रूप में किया जाता है।

शिव ही एक मात्र अजन्मा, अनादि, अनंत है अर्थात उनका कोई आरंभ है न अंत है। न उनका जन्म हुआ है, न वह मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस तरह शिव कोई अवतार न होकर साक्षात परमेश्वर माने जाते हैं। कई शास्त्रों में उल्लेख है कि घर में कभी भी शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। ऐसा स्थान जहाँ पूजा न हो
शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर स्थापित न करें जहां आप पूजन न करते हों। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप शिवलिंग की पूजा पूरी विधि-विधान से न कर पा रहे हो या ऐसा करने में असमर्थ हो तो भूल से भी शिवलिंग को घर पर न रखे, क्योकिं यदि कोई व्यक्ति घर पर शिवलिंग स्थापित कर उसकी विधि विधान से पूजा नहीं करता तो यह महादेव शिव का अपमान माना जाता है, इस प्रकार वह व्यक्ति किसी अनर्थ को आमंत्रित करता है।

🔷🔷शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाने से पुण्य नहीं बल्कि लगता है पाप -

🔷 भगवान शिव को तुलसी अर्पित न करें क्योंकि पुराणों में तुलसी को साक्षात लक्ष्मी माना गया है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं इसलिए भगवान विष्णु और उनके अवतारों के अतिरिक्त ये अन्य किसी देवी-देवता को नहीं चढ़ाई जाती।

🔷 शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम, केतकी के फूल, हल्दी और नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। इन चीजों को चढ़ाने से पुण्य नहीं बल्कि लगता है पाप।

🔷 घर में कभी भी दो शिवलिंग नहीं रखना चाहिए और दो गणेश स्वरूप, तीन दुर्गा मां की प्रतिमा एक साथ न रखें।  इससे घर में अभाग्य आता है।

🔷 शिव पूजन में बिल्वपत्र का प्रथम एवं विशेष स्थान है। शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित करते समय ध्यान रखें की वो कटे-फटे और कीड़ों के खाए न हों। शिवलिंग पर चढ़े बिल्व पत्र को पुन: भगवान शिव पर अर्पित किया जा सकता है लेकिन जल से धोकर अर्पण करना चाहिए। संभव हो तो गंगा जल से धोएं यदि गंगाजल उपलब्ध न हो आप जहां रहते हैं वहां की आस पास जो पवित्र नदी है उसके जल्द से भी उसे धो सकते हैं।

🔷 शिवलिंग पर दूध, दही तथा पंचामृत चढ़ाते समय कभी भी कांसे के बर्तन प्रयोग में नहीं लाएं। वैसे मिट्टी के पात्र से दही चढ़ाने से पंचतत्व का उसमें विलय होता है जो कि बहुत लाभकारी होता है।

🔷 धतूरा और विजया (भांग) एकसाथ ही अर्पण करने चाहिए। यदि जातक की कुंडली में शनि चंद्र के कारण विष योग है तो वह धतूरा चढ़ा  सकता है।

🔷 शिव पुराण में कहा गया है कि शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा करें फिर वापस लौट कर दूसरी परिक्रमा करें। चारों ओर घूमकर परिक्रमा करने से दोष लगता है।

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🔶रेमेडियल वास्तु- आप वर्तमान में जिस स्थान पर निवास करते हैं उस घर का नक्शा हाथ से सादे पेपर पर ड्राइंग कर भेजें घर किराए का हो या स्वयं का दिशाओं का उल्लेख भी करें।

🔶 ज्योतिष- आपका नाम, जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म स्थान और प्रश्न भेजें।

🔶 तंत्र विज्ञान- आपका वर्तमान फोटो जिस घर के मुख्य द्वार, दुकान, फैक्ट्री या जो भी कार्यस्थल हो उसका फोटो भेजें।

🔶 पास्ट लाइफ रीडिंग- वर्तमान फोटो, आपकी माताजी जी का नाम और गोत्र भेजें।

♦♦हमारा पता है -साईं अन्नपूर्णा सोशल फाउंडेशन( रजि.)
156, सहयोग विहार बावड़िया कला भोपाल (मध्यप्रदेश)
 संपर्क- 9617950498 WhatsApp नंबर 7000632297
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