कई कुंडली में दु:ख योग तो नहीं, जाने उपाय- मनीष साईं
जीवन दुख से भरा है, कई कुंडली में दु:ख योग तो नहीं, जाने उपाय- मनीष साईं
गीता के अनुसार व्यक्ति दुख भाव में रहे, तो यह योग की स्थिति है। ऐसे व्यक्ति के लिए "दुख प्रज्ञ"का इस्तेमाल किया जा सकता है। मेरा मानना है कि जीवन दुख है, दुख का कारण है, दुख दूर होने की संभावना है। दुख दूर करने का उपाय सेवा और अध्यात्म का मार्ग है। यदि आप दुख महसूस कर रहे हैं तो हो सकता है कि आपके लाख अच्छे प्रयास के बावजूद आप सुख हासिल करने में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।उसकी वजह ग्रहों का असंतुलन भी हो सकता है मैंने ऐसे लोग देखें जिन्होंने पूरा समय समाज और दीन दुखियों की मदद में लगा दिया लेकिन उसके बावजूद उनके जीवन में हमेशा दुख रहा है।ऐसे लोगों पर रिसर्च करने पर मालूम पड़ा कि उनका प्रारब्ध और कुंडली में जो दु:ख योग बना है उसके कारण वह जीवन में सुख हासिल नहीं कर पाए कुछ ऐसे छोटे उपाय हैं, जिनके माध्यम से हम दु:ख योग जो कुंडली में बना है उसे खत्म कर सकते हैं वैसे तो दुख का स्मरण करने वाला दुखी रहता है और सुख का स्मरण करने वाला सुखी रहता है। यह क्रांतिकारी बात है आपको यह समझना पड़ेगा सबसे पहले सकारात्मक सोच के साथ आप की शुरुआत होना चाहिए।
◾आइए जानते हैं कैसे बनता है कुंडली में दुःख योग-
दुःख योग चौथे स्थान का स्वामी पापग्रह से युक्त हो।चौथे घर मे नीच का सूर्य व मंगल हो। आठवें घर का स्वामी ११वें भाव मे हो। लग्न मे पापग्रह के बीच मे हो। लग्न मे शनि, आठवें स्थान पर राहु तथा छठे स्थान पर मंगल हो। चन्द्रमा पापग्रहों के बीच मे हो। लग्न का स्वामी १२वें स्थान पर, दसवे स्थान पर पापग्रह और किसी भी घर मे चन्द्रमा तथा सूर्य साथ मे बैठे हो।
◾दुख योग खत्म करने के उपाय-
▪ प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती स्थित देवी कवच का पाठ करें।
▪ प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
▪ ब्लाइंड बच्चों की सेवा करें उन्हें भोजन का दान करें।
▪ जल का दान उपयोग को समाप्त करने में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है जल सेवा करें।
▪ सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय प्रार्थना करें कि मैं एक सर्वश्रेष्ठ आत्मा हूं, मेरा जीवन लोगों की सेवा के लिए बना है, मेरे जीवन में बहुत खुशियां हैं।सुख, शांति और समृद्धि है।
▪ माता पिता एवं बुजुर्गों की सेवा करें।
▪ गरीब असहाय लोगों को बीमारी में सेवा कर मदद करें।
🛑🛑 यदि आपके जीवन में किसी भी तरह की परेशानी है तो उसका कारण ज्योतिष, वास्तु एवं तंत्र संबंधी हो सकता है ।विश्व के जाने माने ज्योतिष वास्तु एवं तंत्र गुरु श्री मनीष साईं जी से आप परामर्श प्राप्त कर सकते हैं आप वास्तु की विजिट अपने शहर में करवा सकते हैं 20 लाख लोगों के जीवन में श्री मनीष साईं जी के परामर्श से परिवर्तन आया है।आप भी इस परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं।आप गुरुदेव श्री मनीष भाई जी को Facebook,ट्विटर,इंस्टाग्राम, ब्लॉगर और उनकी अपनी साइट पर जाकर फॉलो कीजिए। तीज-त्यौहारों की जानकारी के साथ-साथ जीवन परिवर्तन की उपयोगी जानकारी प्राप्त होगी।इस पोस्ट के साथ आपको कुछ लिंक भी भेजी जा रही है उन पर क्लिक कीजिए और गुरुदेव को फॉलो कीजिए जीवन में सुख समृद्धि आएगी।
▪Facebook लिंक-https://www.facebook.com/manishsai.org/
▪ट्विटर लिंक-Check out manish sai (@manishkemm): https://twitter.com/manishkemm?s=08
▪वेबसाइट-www
.gurumanishsai.com
▪YouTube लिंक-https://www.youtube.com/user/saikrati1
🛑 हमारा पता है -
साईं अन्नपूर्णा सोशल फाउंडेशन
156 सहयोग विहार शाहपुरा थाने के पास भोपाल मध्य प्रदेश
संपर्क -9617950498,9425150498
Whatsapp no.7000632297
🚩सबका भला हो सब सुख पाए🚩
गीता के अनुसार व्यक्ति दुख भाव में रहे, तो यह योग की स्थिति है। ऐसे व्यक्ति के लिए "दुख प्रज्ञ"का इस्तेमाल किया जा सकता है। मेरा मानना है कि जीवन दुख है, दुख का कारण है, दुख दूर होने की संभावना है। दुख दूर करने का उपाय सेवा और अध्यात्म का मार्ग है। यदि आप दुख महसूस कर रहे हैं तो हो सकता है कि आपके लाख अच्छे प्रयास के बावजूद आप सुख हासिल करने में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।उसकी वजह ग्रहों का असंतुलन भी हो सकता है मैंने ऐसे लोग देखें जिन्होंने पूरा समय समाज और दीन दुखियों की मदद में लगा दिया लेकिन उसके बावजूद उनके जीवन में हमेशा दुख रहा है।ऐसे लोगों पर रिसर्च करने पर मालूम पड़ा कि उनका प्रारब्ध और कुंडली में जो दु:ख योग बना है उसके कारण वह जीवन में सुख हासिल नहीं कर पाए कुछ ऐसे छोटे उपाय हैं, जिनके माध्यम से हम दु:ख योग जो कुंडली में बना है उसे खत्म कर सकते हैं वैसे तो दुख का स्मरण करने वाला दुखी रहता है और सुख का स्मरण करने वाला सुखी रहता है। यह क्रांतिकारी बात है आपको यह समझना पड़ेगा सबसे पहले सकारात्मक सोच के साथ आप की शुरुआत होना चाहिए।
◾आइए जानते हैं कैसे बनता है कुंडली में दुःख योग-
दुःख योग चौथे स्थान का स्वामी पापग्रह से युक्त हो।चौथे घर मे नीच का सूर्य व मंगल हो। आठवें घर का स्वामी ११वें भाव मे हो। लग्न मे पापग्रह के बीच मे हो। लग्न मे शनि, आठवें स्थान पर राहु तथा छठे स्थान पर मंगल हो। चन्द्रमा पापग्रहों के बीच मे हो। लग्न का स्वामी १२वें स्थान पर, दसवे स्थान पर पापग्रह और किसी भी घर मे चन्द्रमा तथा सूर्य साथ मे बैठे हो।
◾दुख योग खत्म करने के उपाय-
▪ प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती स्थित देवी कवच का पाठ करें।
▪ प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
▪ ब्लाइंड बच्चों की सेवा करें उन्हें भोजन का दान करें।
▪ जल का दान उपयोग को समाप्त करने में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है जल सेवा करें।
▪ सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय प्रार्थना करें कि मैं एक सर्वश्रेष्ठ आत्मा हूं, मेरा जीवन लोगों की सेवा के लिए बना है, मेरे जीवन में बहुत खुशियां हैं।सुख, शांति और समृद्धि है।
▪ माता पिता एवं बुजुर्गों की सेवा करें।
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