चंद्र -मंगल की युति बनाती है मालामाल, अशुभ होने पर देती है बुरे परिणाम -मनीष साईं

चंद्र -मंगल की युति बनाती है मालामाल, अशुभ होने पर  देती है बुरे परिणाम -मनीष साईं

*शुभ अशुभ स्थिति का पूर्ण विश्लेषण तथा सटीक उपाय के लिए लेख अवश्य पढ़ें।

हर ग्रह का कुंडली में महत्व होता है,लेकिन कुछ ग्रह ऐसे हैं जिनका प्रभाव बहुत अच्छा होता है तो कई बार ग्रहों की चाल में  असंतुलन होने से बुरा प्रभाव भी पड़ता है। विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु श्री मनीष साई जी के अनुसार किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली आकाश वृत्त में ग्रहों की उस समय की स्थिति का विवेचन है, जिस समय उसने इस जगत में जन्म लिया। सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, किन्तु चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह होने से पृथ्वी का चक्कर 27 दिनों में पूरा करता है और एक राशि पर औसतन 2 दिन रहता है। इस प्रकार चंद्रमा को किसी राशि के एक अंश को पार करने में दो घंटे से भी कम का समय लगता है। तीव्र गति एवं पृथ्वी के निकटतम होने के कारण चंद्रमा का मानव जीवन पर प्रभाव बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। चंद्रमा श्वेत रंग, शीतल प्रकृति, जल तत्त्व, स्त्री स्वभाव एवं सतोगुणी ग्रह है और मन का कारक है। चंद्रमा सूर्य से जितना दूर होगा, उतना ही प्रभावशाली व शुभ होगा, किंतु इसके विपरीत चंद्रमा सूर्य से जितना निकट होगा उतना ही क्षीण बली एवं पापी स्वभाव का होगा। फ लस्वरूप पूर्णिमा एवं उसके आसपास चंद्रमा पूर्ण बलशाली एवं शुभ तत्त्व प्रभाव का होता है, जबकि अमावस्या एवं उसके आसपास वह क्षीण बली एवं पापी स्वभाव का होता है।

गुरुदेव मनीष साई जी के अनुसार चंद्रमा कर्क राशि का अधिपति है यह वृष राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का माना जाता है। मंगल रक्त वर्ण, उष्ण प्रकृति, अग्नि तत्त्व, पुरुष स्वभाव एवं तमोगुणी ग्रह है। यह मेष एवं वृश्चिक राशियों का स्वामी है। मेष राशि इसकी मूल त्रिकोण राशि है। मकर राशि में यह उच्च का एवं कर्क राशि में नीच का माना जाता है। मंगल बल, साहस एवं सामर्थ्य का प्रतीक है। मंगल शुभ स्थिति में होने पर बल का उपयोग सकारात्मक दिशा में कराता है परंतु निर्बल एवं पाप प्रभाव में होने पर यह नीच कार्यों में लगाकर नैतिक पतन की ओर ले जाता है। मंगल का चंद्रमा मित्र है। चंद्र मंगल की युति जल और अग्नि का योग है। जल और अग्नि मिलने पर भाप बनती है। भाप की शक्ति जहां रेलगाड़ी चला सकती है वहीं जलाकर विनाश लीला भी कर सकती है। इसका अभिप्राय यह है कि यदि चंद्रमा मंगल का योग शुभ प्रभाव में हो, तो वरदान और अशुभ प्रभाव में हो तो अभिशाप बन जाता है। चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए चंद्रमा और मंगल की युति का प्रभाव जातक को क्रोधी स्वभाव का बनाता है। पाप प्रभाव में दूषित होने से मन अस्थिर एवं अनिश्चयात्मक हो जाता है और बुरे विचारों की ओर झुकाव होने पर यह चरित्र पतन की ओर भी ले जाकर कुकर्मों में लिप्त करा सकता है। अशुभ एवं पाप प्रभाव में चंद्रमा मंगल का योग जातक को चरित्रहीन बनाता है और इस प्रकार के अपराधों में लिप्त रहता है। चंद्रमा मन एवं बुद्धि का कारक है और मंगल बल एवं सामर्थ्य का। बल एवं बुद्धि से ही व्यक्ति धन संपत्ति अर्जित करता है। किसी व्यक्ति की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ बनाने में चंद्र मंगल योग का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
गुरुदेव मनीष साई जी के अनुसार
चंद्र और मंगल की युति कई बार  अशुभ भी होती है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्सर चंद्र-मंगल की इस युति पर शनि-केतु का प्रभाव पड़ जाता है। कहते हैं कि ऐसा होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास काफी कमजोर हो जाता है। उस व्यक्ति के एक अलग किस्म के डर से घिर जाने की मान्यता है। माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाता और सदैव निराशा से घिरा रहता है।

ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं की कुंडली में ज्यादा चंद्र-मंगल की युति बनती है और उस पर शनि-केतु का प्रभाव हो जाता है। कहते हैं कि ऐसी दशा में व्यक्ति को क्रोध भी बहुत ज्यादा आता है और ये लोग गुस्से में काफी नुकसान भी कर बैठते हैं। माना जाता है कि ऐसे लोगों के पैरों में दर्द भी खूब होता है। और  ये लोग किसी के ऊपर विश्वास नहीं कर पाते हैं। इससे दूसरों के साथ इनके रिश्ते खराब हो जाने की संभावना बढ़ जाती है।

बताता जाता है कि इस तरह की गंभीर स्थिति का सामना करने वाले व्यक्ति को सहयोग की जरूरत होती है। ऐसे लोगों को परिवार की ओर से खूब सारा प्यार मिलना चाहिए। इन्हें इस बात का भरोसा दिलाया जाना चाहिए कि हम सभी आपके साथ हैं।  कुंडली के छठे घर में यह योग बनता है तो बहुत ज्यादा नकारात्मक हो जाता है। इस योग के कारण माता से विद्रोह, माता से संबंध खराब अगर ऐसा न भी हो तो शिक्षा में दिक्कत, मन कमजोर तथा व्यक्ति को नकारात्मक बनाता है

आठवें घर में चंद्रमा मंगल का योग बनता है तथा शनि खराब होता है तो व्यक्ति दुर्घटना में शरीर के किसी अंग का खोना, कोमा में चले जाना जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न होती है।

बारहवें घर में चंद्र मंगल के योग वाला खुद से सोच-सोच कर सामने वाले को अपना दुश्मन बना लेता है। हर समय लड़ने की आदत, अपने से बड़े तथा छोटे लोगों को दबाना, अपनी स्वयं की माता को बददुआएँ देना जैसे मामले उत्पन्न करता है।

चौथे घर में चंद्र मंगल योग बनता है और बुध का संबंध न हो तो व्यक्ति अत्यधिक खर्चीला होता है।

पांचवें घर में शिक्षा भले ही पूरी न हो लेकिन दूसरों को ज्ञान देने वाला तथा धारदार दिमाग का होता है।

सातवें घर में चंद्र-मंगल योग इंसान को भाग्यशाली बनाता है यानी ऐसा इंसान जिस घर में कदम रखता है वहाँ बरकत आनी शुरू हो जाती है, अनुसंधान करने का शोक एवं मसखरा व्यवहार होता है।

यह योग नौवें घर में होता है तो किसी भी प्रकार की वित्तीय दिक्कतें नहीं होती है। इस घर में या योग बनता है तो ऐसे व्यक्ति सरल व्यक्तित्व के होते हैं।सरलता से सामने वाले को अपनी तरफ खींच लेते हैं l
दसवें घर में चंद्र मंगल का योग सामाजिक स्तर पर मान सम्मान देता है।
ग्यारहवें घर में शनि को नेक करना जीवन में कभी भी परिवार, सामाजिक तथा आर्थिक रूप से कोई दिक्कत नहीं देता।

◾◾ गुरुदेव मनीष साई जी के अनुसार यदि चंद्र और मंगल की युति शनि एवं केतु के कारण कुंडली में अशुभ प्रभाव दे रही है तो यह उपाय करें-

▪ चंद्र और मंगल की युति पर शनि केतु का प्रभाव पड़ता है तो यह उपाय अति महत्वपूर्ण है। इसके तहत ऐसे व्यक्ति के गले में एक चांदी की चेन पहननी चाहिए इस चैन में अश्वगंधा की जड़ को ताबीज में बांधकर पहनना चाहिए।
 ▪माता का आशीर्वाद लेते रहें। ▪भाइयों के साथ अच्छे संबंध      रखें।
 ▪दूध में शहद मिलाकर पिएँ l

▪दूध में बना मीठा हलवा खुद भी और अपने भाई-बंधुओं को भी खिलाएँ ऐसा 43 दिन लगातार करे।

 ▪मेहमानों को दूध और मीठा दें।
▪बरगद के पेड़ पर कच्चा मीठा दूध चढ़ाएँ तथा उस गीली मिट्टी से माथे तथा नाभि पर तिलक करें।

▪घर में अधिक से अधिक चाँदी धारण करें।

▪अपने शरीर पर अधिक से अधिक चाँदी धारण करें।

▪सफ़ेद मूँगा चाँदी में मंडवाकर पहनें।

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