सिद्ध कुंजिका पाठ एवं मंत्र

नवरात्रि में करें यह काम जीवन हो जाएगा आसान- मनीष साईं


सनातन धर्म में देव पूजा को जितना सम्मान दिया जाता है उतना ही सम्मान  देवी पूजा को भी दिया जाता है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग  शक्ति के रूप में दुर्गा पूजा को बहुत महत्व देते हैं। हमारे शास्त्रों में कहा जाता है कि नवरात्र के नौ दिनों में विधि-विधान पूर्वक दुर्गा सप्तशती के पाठ से माता की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है, ऐसी मान्यता है। जो लोग नियमित दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें संपूर्ण पाठ करने में लगभग दो घंटे का समय लगता है। जो लोग सिर्फ नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें संपूर्ण पाठ करने में लगभग तीन से चार घंटे का समय लग सकता है।

आज के इस आधुनिक युग में  सभी लोग पर काम का दबाव बना रहता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ कर पाना बहुत से लोगों के लिए कठिन हो सकता है। इस स्थिति में दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का फल प्राप्त करने के लिए एक आसान उपाय का वर्णन मैं आपको  प्रदान कर रहा हूं।अगर आप भी सिर्फ 10 मिनट में दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्याय, कवच, कीलक, अर्गला, न्यास के पाठ का पुण्य प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए यह उपाय काफी उपयोगी हो सकता है।

शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का जो फल है वह सिर्फ कुंजिकास्तोत्र के पाठ से प्राप्त हो जाता है। कुंजिकास्तोत्र का मंत्र सिद्ध किया हुआ इसलिए इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। जो साधक संकल्प लेकर इसके मंत्रों का जप करते हुए दुर्गा मां की आराधना करते हैं मां उनकी इच्छित मनोकामना पूरी करती हैं। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यह है कि कुंजिकास्तोत्र के मंत्रों का जप किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करना चाहिए। किसी को क्षति पहुंचाने के लिए कुंजिकास्तोत्र के मंत्र की साधना करने पर साधक का खुद ही अहित होता है।

▪सिद्ध कुंजिका स्तोत्र-

शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥1॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ 3॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥

अथ मंत्र:-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।"
॥ इति मंत्रः॥

"नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन ॥1॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥2॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥3॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ 4॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥5॥
धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु॥6॥
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥7॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥ 8॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।

🔳सिद्ध कुंजिका मंत्र साधना-

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ आप नवरात्रि में करें साथ ही आप इसके मंत्र को यदि सिद्ध कर लेते हैं तो आपके जीवन में आने वाली परेशानियां खत्म हो सकती है आज आपको सिद्ध कुंजिका मंत्र कैसे सिद्ध किया जाता है इसकी विधि गुरुदेव मनीष साईं जी के अनुसार इस प्रकार है।

▪गुरुदेव मनीष साईं जी के अनुसार सिद्ध कुंजिका मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि -

▪सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।

▪मंत्र सिद्ध करने की विधि -
 पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपडा बिछाकर माँ दुर्गा की फोटो की स्थापना करें।अब इस मंत्र को एक कागज पर लिखकर फोटो के नीचे रख दे। चौकी के बायीं तरफ एक घी का दीपक जलाये और गणेश जी की स्थापना करें। गणेश जी की स्थापना के लिए – एक मिट्टी की डली लेकर इस पर लाल धागे को लपेट ले और अब इसे एक कटोरी में थोड़े चावल डालकर चौकी पर स्थापित कर दे।

अब आप आसन बिछाकर चौकी के सामने बैठ जाये और सबसे पहले गणेश जी का आव्हान करे। गणेश जी के साथ -साथ सभी देवों का आव्हान करें और संकल्प लेकर माला का जप आरम्भ कर दे।

इस साधना को करने के लिए सुबह 11 बजे से पहले का एक समय सुनिश्चित कर प्रतिदिन उसी समय पर पूजा करें। इस प्रकार से माँ दुर्गा की इस साधना को 41 दिन तक करने से यह सिद्ध कुंजिका मंत्र सिद्ध हो जाता है। इस मंत्र को सिद्ध करने का सबसे अच्छा साधन नवरात्र के पहले दिन से 41 दिन तक माना गया है। 41 दिन पूरे होने के बाद जितने मंत्र जप आपने इन दिनों में किये है उनका दशांश मंत्र की आहुति द्वारा हवन करें। और हवन के पश्चात् 9 कन्याओं को भोजन कराएँ व अपने सामर्थ्य अनुसार उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दे।

मंत्र सिद्ध करते समय जितने मंत्र जाप आप पहले दिन करते है उतने ही मन्त्रों का जाप प्रतिदिन करें। यदि आप चाहे तो मंत्र जप की संख्या बढ़ा सकते है। यदि आप पहले दिन 2 माला का जाप करते है तो प्रतिदिन 2 माला का ही जप करें।मंत्र सिद्धि के समय जिस स्थान पर बैठकर आप पूजा करते है उस स्थान में कोई बदलाव न करें।साधना को 41 दिन तक प्रतिदिन करें।ध्यान रहें,साधना बीच में छूटनी नहीं चाहिए।साधना काल में शाकाहारी भोजन ही करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

 मंत्र को सिद्ध करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और पीडाएं अपने आप दूर होने लगती है।माँ दुर्गा की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। समाज में मान -सम्मान मिलता है। घर में घन -लक्ष्मी की वृद्धि होती है | ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।सिद्ध कुंजिका मंत्र के सिद्ध होने पर इसे दुसरे लोगों की भलाई के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।

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