नवरात्रि पर विशेष

शुभ मुहूर्त, विशेष प्रसाद, नवरात्रि का महत्व, नवरात्रि में रखे सावधानियां- मनीष साईं

सनातन धर्म में  देवी आराधना को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। नवरात्रि के 9 दिनों में व्रत, उपवास और शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार मां की आराधना की जाए तो उसका फल मां भक्तों को अवश्य प्रदान करती है। विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु मनीष साईं जी के अनुसार इस नवरात्रि में मां दुर्गा को विशेष प्रकार के नैवेद्य से प्रसन्न कर सकते हैं। 10 अक्‍टूबर से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारम्भ हो रहा है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्‍वरूपों की अराधना की जाती है। गुरुदेव श्री मनीष साईं जी से जानें, मां को खुश करने के लिए  कौन सा भोग लगाएं, क्या क्या सावधानी बरतें  नवरात्रि का महत्व एवं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त।

🔳 विशेष प्रसाद से मां को खुश करें-

▪आरोग्य प्राप्ति के लिए घी का दीपक जलाएं।
▪ आयुष्य के लिए चीनी अर्पित करें अथवा मिश्री का भोग लगाएं।
 ▪दुख निवारण के लिए खीर का भोग लगाएं और खीर कन्याओं को वितरित करें।
▪ सुख - समृद्धि प्राप्ति के लिए मालपुआ मां को चढ़ाएं और उस का प्रसाद वितरित करें।
▪ शारीरिक पुष्टि के लिए केले का प्रसाद चढ़ाकर कन्याओं में एवं छोटी उम्र के बालकों में वितरित करें।
▪ आकर्षण के लिए शहद से मां को स्नान कराएं और प्रसाद के रूप में पंचामृत के साथ शहद बाटे।

 ▪शोक मुक्ति के लिए गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं तथा गुड़ का दान करें।
▪संतान सुख में वृद्धि के लिए नारियल का प्रसाद चढ़ाएं तथा नारियल से बनी बर्फी कन्याओं में बांटे।
▪भयमुक्ति के लिए गंगाजल अर्पित करें। मां भगवती को गंगाजल से भी स्नान करा सकते हैं तथा चरणामृत के रूप में इस जल का प्रसाद बाटे।

▪नवरात्रि में मां की उपासना कर गृहदोष भी दूर किया जा सकता है। यदि आपके घर में किसी प्रकार का नजर दोष है  तथा घर का वास्तु ठीक नहीं है तो प्रतिदिन सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय निम्नलिखित मंत्र से 108 बार हवन आहुति प्रदान करें।

'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' स्वाहा

🔳 शारदीय नवरात्रि का महत्व-

हर साल चैत्र, आश्विन, आषाढ़ और माघ महीने में नवरात्र आते हैं। जिसमें से चैत्र और आश्विन माह में पड़ने वाले नवरात्र बेहद लोकप्रिय हैं। वहीं आषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए विशेष मानी जाती है। वहीं, सिद्धि साधना के लिए शारदीय नवरात्रि का अपना अलग महत्‍व है।

🔳 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

नवरात्रि शुरुआत – 10 अक्टूबर (बुधवार) 2018
महाअष्टमी– 17 अक्टूबर
महानवमी– 18 अक्टूबर (गुरुवार) 2018

नवरात्रि दौरान घर में घट स्थापना और पूजा विधि–

नवरात्रि घट स्थापना समय
नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त 2018 – 06:18:40 से लेकर 10:11:37 तक (अवधि : 3 घंटे 52 मिनट)

(कलश स्थापना 10 अक्‍टूबर को 06:18:40 से लेकर 10:11:37 तक कर सकते हैं। अगर आप किसी वजह से कलश स्‍थापित नहीं कर सकते तो 11:36 बजे से लेकर दोपहर 12:24 बजे तक कलश की स्‍थापना कर सकते हैं। )

🔳 नवरात्रि में ये सावधानियां बरतें-

▪ यदि सिद्ध कुंजिका स्त्रोत सिद्ध कुंजिका मंत्र या दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें।

▪ घर में दुर्गा जी की एक ही मूर्ति रखें  और यह भी ध्यान रखें  की दुर्गा जी की तीन प्रतिमाओं का एक साथ पूजन न करें।
▪अखंडित कलश न रखें।
▪देशी घी यानी गाय के शुद्ध घी का दीपक जला कर आरती करें।
▪ नवरात्रि में अखंड ज्योति का बहुत महत्व है। अखंड ज्योति जलाएं और यह ध्यान रखें कि  वह ठंडी न हो पाए।
▪कलश में मौलि बंधी होनी चाहिए। कलश के नीचे अक्षत या गेहूं जरूर रखें।
▪पंच पल्लव (आम पत्ते) बंधे हों। द्वार पर भी अशोक एवं आम के पत्ते लगाएं।
▪खंडित फल अर्पित न करें, जैसे- आधा केला, आधा सेव, या खंडित सामग्री जैसे कि अक्षत आदि।
▪ महिलाएं खुले बाल, गीले कपड़ों में पूजन न करें।
▪केशर, चंदन को ताम्र पात्र में न रखें।
▪दूर्वा न चढ़ाएं।
▪पूजा आसन में बैठकर करें।
▪उत्तर-पूर्व मुख करते पूजन करें।

🔳 दुर्गा जी की आरती -

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ।
                      तुमको निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी ।।जय अम्बे गौरी...                        

मांग सिन्दूर विराजत टीको मृ्ग मद को ।
 उच्चवल से दोऊ नैना चन्द्र बदन नीको। जय अम्बे गौरी...

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
 रक्त पुष्प गलमाला कंठन पर साजै।।जय अम्बे गौरी...

केहरि वाहन राजत खडग खप्पर थारी।
 सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दु:ख हारी।।जय अम्बे गौरी..
                         
कानन कुण्डली शोभित नाशाग्रे मोती ।।
कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति।।जय अम्बे गौरी...

शुम्भ निशुम्भ विदारे महिषासुर घाती ।
 घूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ।।जय अम्बे गौरी...

चौंसठ योगिन गावन नृ्त्य करत भैरूं ।
 बाजत ताल मृ्दंगा अरू बाजत डमरू।।जय अम्बे गौरी...

भुजा चार अति शोभित खडग खप्पर धारी ।
 मन वांछित फल पावत सेवत नर नारी ।।जय अम्बे गौरी...

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
 श्री मालकेतु में राजत कोटि रत्न ज्योति।।जय अम्बे गौरी...
                         
श्री अम्बे की आरती जो कोई नर गावै।
 कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावै।। जय अम्बे गौरी...

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