नवरात्रि का पांचवा दिन
स्कंद माता की पूजा से खुलता है मोक्ष का द्वार- मनीष साईं
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। चार भुजाओं वाली मां दुर्गा के रूप के गोद में विराजमान होते हैं कुमार कार्तिकेय। इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता भी कहा जाता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने वाले माता के भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
▪कौन हैं मां स्कंदमाता?-
चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता के दो हाथों में कमल और एक हाथ में कुमार कार्तिकेय बैठे रहते हैं. कुमार कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है। देवताओं के इसी सेनापति का एक नाम स्कंद भी है। इन्हीं स्कंद की माता हैं स्कंदमाता।
▪मां स्कंदमाता का रूप -
शेर पर सवार, चार भुजाएं और गोद में कुमार कार्तिकेय, ये है स्कंदमाता का रूप। यह कमल पर भी विराजमान रहती हैं इसीलिए इन्हें पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है।
▪कैसे करें स्कंदमाता की पूजा-
गंगाजल से मां को स्नान कराएं मां स्कंदमाता का पूजन सफेद रंग के वस्त्र पहन कर करें और उन्हें मूंग के दाल के हलवे का भोग लगाए और प्रसाद में बांटे। मान्यता है कि स्कंदमाता रोगों से मुक्ति दिलाती हैं और घर में सुख शांति लाती हैं।
▪ गुरुदेव मनीष साईं जी के अनुसार मां को खुश करने का तांत्रिक उपाय-
मां को खुश करने के लिए पंचवी तिथि को पांच वर्ष की पांच कन्याओं एवं पांच बालकों को खीर एवं मिठाई खिलाएं। भोजन के पश्चात कन्याओं को लाल चुनरी एवं 5 रुपये दें तथा बालकों को एक सेब एवं 5 रुपये दें।
▪संतान सुख की इच्छा से जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की आराधना करना चाहते हैं उन्हें नवरात्र की पांचवी तिथि को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, लाल बिन्दी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए।
▪ध्यान मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
अर्थात : जो नित्य सिंहासन पर विराजमान रहती हैं और जिनके दोनो हाथ कमल-पुष्पों से सशोभित हैं, वे यशस्विनी स्कन्दमाता मेरे लिए शुभदायिनी हों।
▪स्कंदमाता की आरती-
जय तेरी हो अस्कंध माता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
'भक्त' की आस पुजाने आई
स्कंद माता की पूजा से खुलता है मोक्ष का द्वार- मनीष साईं
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। चार भुजाओं वाली मां दुर्गा के रूप के गोद में विराजमान होते हैं कुमार कार्तिकेय। इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता भी कहा जाता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने वाले माता के भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
▪कौन हैं मां स्कंदमाता?-
चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता के दो हाथों में कमल और एक हाथ में कुमार कार्तिकेय बैठे रहते हैं. कुमार कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है। देवताओं के इसी सेनापति का एक नाम स्कंद भी है। इन्हीं स्कंद की माता हैं स्कंदमाता।
▪मां स्कंदमाता का रूप -
शेर पर सवार, चार भुजाएं और गोद में कुमार कार्तिकेय, ये है स्कंदमाता का रूप। यह कमल पर भी विराजमान रहती हैं इसीलिए इन्हें पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है।
▪कैसे करें स्कंदमाता की पूजा-
गंगाजल से मां को स्नान कराएं मां स्कंदमाता का पूजन सफेद रंग के वस्त्र पहन कर करें और उन्हें मूंग के दाल के हलवे का भोग लगाए और प्रसाद में बांटे। मान्यता है कि स्कंदमाता रोगों से मुक्ति दिलाती हैं और घर में सुख शांति लाती हैं।
▪ गुरुदेव मनीष साईं जी के अनुसार मां को खुश करने का तांत्रिक उपाय-
मां को खुश करने के लिए पंचवी तिथि को पांच वर्ष की पांच कन्याओं एवं पांच बालकों को खीर एवं मिठाई खिलाएं। भोजन के पश्चात कन्याओं को लाल चुनरी एवं 5 रुपये दें तथा बालकों को एक सेब एवं 5 रुपये दें।
▪संतान सुख की इच्छा से जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की आराधना करना चाहते हैं उन्हें नवरात्र की पांचवी तिथि को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, लाल बिन्दी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए।
▪ध्यान मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
अर्थात : जो नित्य सिंहासन पर विराजमान रहती हैं और जिनके दोनो हाथ कमल-पुष्पों से सशोभित हैं, वे यशस्विनी स्कन्दमाता मेरे लिए शुभदायिनी हों।
▪स्कंदमाता की आरती-
जय तेरी हो अस्कंध माता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
'भक्त' की आस पुजाने आई
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