करवा चौथ- मुहूर्त एवं पूजन विधि, कथा, राशि अनुसार उपाय

करवा चौथ- मुहूर्त एवं पूजन विधि

 राशि अनुसार करवा चौथ पर उपाय करने से पति पत्नी के बीच बढ़ता है प्रेम- मनीष साईं


करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र के लिये करती हैं। यह व्रत विशेषकर दिल्ली,पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश तथा बिहार के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस वर्ष २७ अक्टूबर २०१८ (शनिवार) को है। विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु श्री मनीष साईं जी के अनुसार आइए जानते हैं करवा चौथ का मुहूर्त क्या है। राशि अनुसार महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए क्या उपाय करें तथा पूजन कैसे करना है और पूजन सामग्री क्या होगी।

🔳 करवा चौथ मुहूर्त-

 करवा चौथ मुहूर्त करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 5:40 से 6:47 तक करवा चौथ चंद्रोदय समय 7 बजकर 55 मिनट

करवा चौथ चंद्रोदय समय
7 बजकर 55 मिनट

🔳 करवा चौथ पर प्रातः काल खाए सरगी-

करवाचौथ के दिन प्रातः 4:00 बजे उठे। इस दिन आपको उषाकाल से पहले यह व्रत रखने पर उठकर कुछ खाना तथा पीना चाहिए। यदि आप उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से संबंधित क्षेत्र से हैं तो आप उषाकाल से पहले शक्कर और दूध के साथ सूत फेनी लेने का प्रचलन है। इस मिश्रण के सेवन से अगले दिन बिना पानी पीये रहने में मदद मिलती है। दिल्ली और हरियाणा में मीठा खाजा एवं रसमलाई तथा रबड़ी कथा मध्यप्रदेश में  सरगी में  फैनी और रबड़ी  राजस्थान में मीठी कचौरी  और दूध रबड़ी, पंजाब में उषाकाल से पहले लिए गए अन्न में सरगी का एक महत्वपुर्ण स्थान है।
परंपरा के अनुसार सरगी सास द्वारा अपनी बहु को करवाचौथ पर दिया जाने वाला बहुमूल्य उपहार है जिसमें काजू बादाम, मीठी मट्ठी और सुहाग की निशानियाँ होती है।

🔳 करवा चौथ विधि एवं सामग्री-

करवाचौथ का व्रत और पूजन पूरे विधि-विधान के साथ होता है। इस महत्वपूर्ण लेख में दर्शाई गई सामग्री और विधि द्वारा करवाचौथ की पूजा की जाती है।

▪पूजन सामग्री-

मिट्टी, ताम्बा अथवा पीतल के दो करवे, दूध, जल, धुप, सुपारी, मौलि, अक्षत, दीप, कपूर, सिंदूर, काजल, पुष्प एवं पुष्पमाला, जल के लिए तीन पात्र, नैवेध्य के लिए पूर्ण फल, मेवा या मिठाई, इत्यादि।
इस व्रत में पीसी हुई चावल के घोल से दीवाल पर सबसे ऊपर चन्द्रमा बनते हैं उसके नीचे शिव, गणपति और कार्तिकेय का चित्र बनाया जाता है। फिर पीली मिट्टी से माता गौरी बनायी जाती हैं जिनकी गोद में गणपति को बैठाया जाता है। गौरी को चौकी पर बिठाकर सभी सुहाग चिन्हों से उन्हें सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। एक पुष्प को नन्दीश्वर स्वरुप मानकर स्थान दिया जाता है।
करवा में रक्षासूत्र बांधें, तथा हल्दी और आटे के सम्मिश्रण से एक स्वस्तिक बनाएं। एक करवे में जल भरें तथा दुसरे करवे में दूध भरें और इसमें ताम्बे या चांदी का सिक्का डालें। आचमन के लिए छोटे पात्र में जल भर कर रखें तथा साथ में एक चम्मच भी रखें।

▪पूजा के लिए मंत्र-

‘ॐ शिवायै नमः‘ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय‘ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः‘ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः‘ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः‘ से चंद्रमा का पूजन करें।
सब तैयारी हो जाने के बाद करवाचौथ की कथा सुनें और फिर चन्द्रमा निकलते ही श्री चन्द्रदेव को अर्ध्य दीजिये।अपने सुहाग को तिलक करें तथा छलनी में चांद के साथ अपने सुहाग को देखें। अपने सुहाग के पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले तथा करवे में भरे जल से अपना व्रत खोलें। इसके पश्चात सात्विक तरीके से बना हुआ भोजन ग्रहण करें।

▪करवाचौथ की कथा-

कथा के अनुसार, एक साहूकार के घर उसकी बेटी ससुराल से आई। शाम को सब लोग भोजन कर रहे थे। करवा चतुर्थी होने के कारण बेटी ने सबके साथ भोजन करने से इंकार कर दिया। जब उसे कहा गया कि भोजन करो तो बेटी ने इंकार कर दिया और हठ करने लगी कि चंद्रमा देखने के बाद ही भेाजन करूंगी। अपनी बहन का ये हठ उपवास एक भाई से सहन नहीं हुआ क्योंकि उसकी बहन भूख-प्यास से बहुत व्याकुल थी। भूख की वजह से तड़प रही थी। कमजोर हो रही थी। तब भाई ने एक दीपक जलाकर छत पर रख दिया और अपनी बहन से झूठ बोला कि चांद निकल आया है, उसके दर्शन करो और भोजन करो।  बहन ने इसे सच मानकर भोजन कर लिया। ऐसा करने के बाद अचानक बहन को पति के नि‍धन की खबर मिली। उसके बाद महिला ने अपनी पति के शव को पास रखकर एक साल तक कठोर उपवास किया।जिसके फलस्वरूप करवा देवी प्रसन्न होकर महिला के समक्ष प्रकट हुईं। करवा देवी ने एक खास तरीके से महिला के पति को जिंदा कर दिया। करवा देवी उस महिला के भाई की पत्नी के पास गईं। तब भाई की पत्नी करवा देवी को कसकर पकड़ लेती हैं ताकि करवा देवी उसकी ननद के पति को जिंदा कर दें।भाई की पत्नी करवा देवी को तब तक पकड़े रहती है जब तक करवा देवी ननद के पति को जीवित नहीं कर देती।करवा देवी इनका तप देखकर प्रसन्न होती हैं और ननद के पति को जीवित कर देती है।

🔳 पति-पत्नी के संबंधों को सुखद बनाने के लिए करवा चौथ पर करें राशि अनुसार उपाय-

▪मेष-
मंदिर में दक्षिणा सहित केले दान करें। पति के ऊपर से सात बार उतार कर नींबू चौराहे पर फेंके।

▪वृष-
 मंदिर में चूर्मा का प्रसाद चढ़ाएं।

▪मिथुन-
लाल कपड़े में सवा किलो आटा रखकर दान करें।

▪कर्क-
जीवनसाथी को उपहार सहित वस्त्राभूषण पैर छूकर आशीर्वाद लेकर  सप्रेम भटें करे।

▪सिंह-
लाल चन्दन का तिलक करें

▪कन्या-
सतनाजा दान करें।

▪तुला-
प्रातः काल में दूध और चावल का दान करें।

▪वृश्चिक-

तांबे के वर्तन में आटा भर कर दान करें। तांबे के बर्तन में पानी पिए।

▪धनु-
काले कपड़े धारण न करें। तिल का तेल या तिल का दान करें।

▪मकर-
प्रातःकाल में पीपल के वृक्ष की पूजा परिक्रमा करे । पीतल का बर्तन दान करें। हल्दी का दान करें।

▪कुंभ-

तामसिक वस्तुओं का प्रयोग न करें। आज के दिन झूठ बिल्कुल ना बोले।

▪मीन-
खाना खाने से पहले रोटी का एक टुकड़ा रसोई घर की आग में डालें।

▪तांत्रिक उपाय-
अगर आपके रिश्तों में टकराव रहता है …..बादाम और मिश्री आज बहते पानी में प्रवाह करें

🔳 ऐसी महिलाएं ना करें करवाचौथ-

▪करवाचौथ के पर्व पर गर्भवती महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के करवाचौथ का कठोर उपवास ना करें।करवाचौथ के दिन सूर्य उदय से पूर्व खाया जाता है। उसके बाद दिनभर भूखे-प्यासे रहने का असर गर्भ पर पड़ सकता है। करवाचौथ के व्रत में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है।

▪यदि आप बीमार हैं तो भी डॉक्टर की सलाह के बिना करवाचौथ का कठोर व्रत ना करें।

▪बहुत सी महिलाओं को करवाचौथ के दिन भी दिनभर काम करना पड़ता है तो इसका असर आपकी सेहत पर भी पड़ सकता है। ऐसे में किसी एक वस्तु का सेवन कर सकते हैं।

▪करवाचौथ का असर आपके गर्भ और शरीर पर ना पड़े।इस बात का खास ख्याल रखें। शारीरिक श्रम बिल्कुल ना करें दिन भर आराम करें।

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