जानिए कैसे बनते हैं घर बनने के योग, कैसे बनाएं अपने सपनों का घर -मनीष साईं

जानिए कैसे बनते हैं घर बनने के योग, कैसे बनाएं अपने सपनों का घर -मनीष साईं

▪ज्योतिष के अनुसार घर बनने के महत्वपूर्ण योग-

जातक की कुण्‍डली में चौथा घर बहुत बेहतर स्थिति में हो तो वह अपनी जिंदगी के शुरूआती वर्षों में ही घर बना लेता है। सामान्‍य तौर पर घर बनाने के लिए दूसरा, चौथा और ग्‍यारहवां भाव देखा जाता है।

अगर कोई बना बनाया घर खरीद रहा हो, तो उसके लिए शुक्र और जमीन लेकर घर बना रहा हो तो मंगल को विशेष तौर पर देखा जाता है। कुण्‍डली का चौथा घर घरेलू वातावरण और माता की मानसिक स्थिति का परिचायक भी होता है।इसके अलावा चतुर्थ भाव के स्‍वामी और इस भाव पर दूसरे ग्रहों की दृष्टि भी महत्‍वपूर्ण होती है।इससे पता चलता है कि घर कैसा होगा।

▪दिशा के अनुरूप करे भूमि का चयन-


वास्‍तु के अनुसार पूर्व और उत्‍तर दिशा गृह मालिक के लिए सर्वश्रेष्‍ठ होती है। पूर्वमुखी घर का मालिक प्रशासन और सरकार में अच्‍छी दखल रखता है। ऐसा घर पितृसत्‍तात्‍मक होता है। यानि पुरुषों की अधिक चलती है।

दंपत्ति में पति-पत्‍नी के बाद तक जीवित रहता है। उत्‍तरमुखी घरों में ज्‍यादातर कंसल्‍टेंट रहते हैं। यानि नौकरी संबंधी सलाह देने वाले, बैंकर्स, इंश्‍योरेंस एजेण्‍ट, आयुर्वेद और होम्‍योपैथी के चिकित्‍सक और ऐसे अन्‍य लोग जो रचनात्‍मकता के साथ लोगों को सलाह देते हैं।

आमतौर पर दूसरे लोगों को सलाह देने के साथ ही इनका पेशा जुडा होता है। ऐसे घरों के बच्‍चों की स्थिति बेहतर होती है। परिवार तेजी से बढता है। कन्‍याएं अधिक हों तो परिवार अधिक फलता-फूलता है। पश्चिममुखी घरों में अधिकांश नौकरीपेशा लोग रहते हैं।

ये जिन्‍दगी का अधिकतर हिस्‍सा व्‍यवस्‍थाएं बनाने में बिता देते हैं। इन घरों में ऊर्जा का स्‍तर कम होता है। धीरे बोलने वाले और छोटी-छोटी समस्‍याओं को भी जरूरत से अधिक गंभीरता से सुलझाने वाले लोग इस श्रेणी में आते हैं।

दक्षिणमुखी घरों को सबसे खराब दिशा वाले घर बताया गया है। कुछ स्‍थानों पर तो लिखा है कि ऐसे घरों में विधवाएं, विधुर और स्‍यापा करने वाले लोग रहते हैं। लेकिन एलोपैथ चिकित्‍सकों और हॉस्‍टलों के अलावा दुकानों को इन दिशा में बेहतर परिणाम देते देखा गया है।

ध्‍यान दें तो पता चलता है चिकित्‍सक के घर रोने वाले लोग अधिक आते हैं। हॉस्‍टल में रहने वाले लोग कभी हॉस्‍टल से आत्‍मीय रिश्‍ता नहीं जोड पाते हैं और दुकान के प्रति दुकानदार का यह नजरिया होता है कि यह जितनी जल्‍दी खाली हो बेहतर है ताकि दूसरा माल लाकर डाला जा सके।

 इसलिए यदि आप घर बनाना चाहते हैं तो उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर प्लाट यदि आपको मिले तो वह आपके लिए सुखदाई एवं समृद्धशाली हो सकता है। और यदि आपका घर किसी और दिशा में है तो आप उसका वास्तु परीक्षण इसे अच्छे जानकार वास्तविक से करा ले।

▪घर बनाने के लिए वर्ण अनुसार भूमि का चयन भूमि लाभदायक है या नुकसानदायक जाने-

शास्त्रों में उल्लेखित है कि हर वर्ण के व्‍यक्ति के लिए जमीन की अलग अलग विशेषताएं बताई गई हैं। इसके अनुसार पीले रंग की सुगंधित भूमि ब्राह्मण भूमि है, रक्‍तवर्ण की भूमि क्षत्रिय भूमि है, हल्‍की धूसर लेकिन उपजाऊ भूमि वणिकों है और काली व दुर्गंधयुक्‍त भूमि शूद्र भूमि है। अपने प्रोफेशन के अनुसार हमें श्रेष्‍ठ भूमि का चुनाव करना होता है। यह तो रंग और वर्ण की बात हुई। अब यह देखना होगा कि जमीन में ताकत कितनी है।

इसके लिए एक हाथ लंबा, एक हाथ चौड़ा और एक हाथ गहरा गड्ढा खोदें और उसमें पानी भरकर रख दें। अगर उसमें पानी भरा रहता है तो श्रेष्‍ठ भूमि है, लेकिन पानी पूरी तरह सूख जाए तो उस भूमि को छोड़ देने योग्‍य बताया गया है। हालांकि अब जमीनों को छोड़ा नहीं जा सकता, लेकिन उपचार करके उसे काम में लेने योग्‍य बनाया जा सकता है। ऐसे में भूमि में दोष होने पर हर हालत में उसका उपचार भी किया जाना चाहिए। अन्‍यथा समय बीतने के साथ उसके खराब प्रभाव सामने आने लगते हैं। यदि आप को बुखार ले रहे हैं और भूमि में आपको दोष लगता है तो आप मुझसे परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।साईं अन्नपूर्णा सोशल फाउंडेशन के व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

▪नक्‍शा बनाते समय रेमेडियल वास्तु की इन बातो का ध्‍यान रखें-

घर का नक्‍शा बनाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखा जाना जरूरी है, मसलन घर में हवा, पानी और रोशनी के बीच कम से कम बाधाएं हों। घर के सामने ऐसा खुला स्‍थान न हो, जहां से नकारात्‍मक ऊर्जा आती हो, और ऐसी बाधा भी न हो कि पर्याप्‍त ऊर्जा न मिल पाए।

घर के भीतर दरवाजों और छतों का संतुलन ऐसा होना चाहिए कि बैठते समय असहजता महसूस न हो। फर्श को सबसे ज्‍यादा अनदेखा किया जाता है। किसी भी प्रकार की टाइल्‍स लगा ली जाती है। बाद में पता चलता है कि टाइल्‍स के रंगों के कारण ही घर में समस्‍याएं बढ़ रही हैं। घर में दीवारों पर जो रंग रोगन होता है उसका भी विशेष तौर पर ध्यान रखें यदि आप गलत रंगों का चयन करते हैं तो आपका जीवन कष्टदाई हो सकता है।

रंगो के चयन का एक उदाहरण मुंबई में देखने में आया। दो रिश्‍तेदार मिलकर  अनाज व्यवसाय का काम करते थे। उन्‍होंने कॉलोनी मैं घर आसपास में बना लिया। 90 फीट X 240 फीट के प्‍लाटों पर बने घर हर दृष्टि से एक समान थे।

एक सज्‍जन तो खुश थे, लेकिन दूसरे लगातार अनगिनत बीमारियों का शिकार हो रहे थे। एक अवस्‍था तो यह आई कि उनका आत्महत्या तक करने का विचार दिमाग में उत्पन्न हो गया।

हम वास्‍तु देखने के लिए पहुंचे तो उनके घर देखते रह गए।  कोई वास्तु दोष नजर नहीं आ रहा था।

घर के टॉयलेट बाथरूम से लेकर किचन सीढ़ियां कमरों के साइज खिड़कियां दरवाजे बाहर का हिस्सा पीछे का हिस्सा सब कुछ वास्तु के अनुरूप था। वास्तु के अनुरूप सब कुछ होने पर भी नकारात्मक ऊर्जा घर में बहुत थी अध्ययन के बाद पता चला कि घर में रंगों का चयन ठीक से नहीं किया था।

फर्श के कलर का चयन भी ठीक नहीं किया था।

घर का कलर बदलवाया और और फर्श का भी परिणाम यह था कि 6 महीने में व्यक्ति के जीवन में बदलाव आ गया। पड़ोसी मित्र ने रंगो का चयन बहुत समझदारी से किया था उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं था जबकि मकान दोनों एक साथ एक जैसे बने थे सिर्फ रंगो के चयन के कारण जीवन में इतनी सारी परेशानियां उठाना पड़ी। वास्तु बहुत ही महत्वपूर्ण है आप जब भी मकान बनाएं अच्छे वास्तु विद से जरूर संपर्क करें।

⚫ यदि आपका घर वास्तु के हिसाब से नहीं बना है तो तमाम तरह की समस्याएं बनी  धन, स्वास्थ्य, व्यापार, करियर, आपसी मनमुटाव जैसी समस्याएं एक के बाद एक लगातार सामने आएगी। विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु मनीष साईं जी से आप अपने घर का वास्तु ठीक करवा सकते हैं। वास्तु विजिट भी करवा सकते हैं,तथा वास्तु परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं।


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