ह्रदय रोग का वास्तु-ज्योतिष में कारण और निवारण- मनीष साईं

ह्रदय रोग का वास्तु-ज्योतिष में कारण और निवारण- मनीष साईं

मुंबई के सबसे बड़े  हृदय रोग के अस्पताल के कार्डियो विभाग में मरीजों की कुंडलियों का जब मेरे द्वारा विश्लेषण किया गया तो  बातचीत करने पर पाया कि यदि ह्रदय रोग ग्रहों के कारण आपकी कुंडली में इंगित है तो आपको अच्छे से अच्छा सर्जन या हृदय रोग विशेषज्ञ भी इस रोग से नहीं बचा सकता। बाईपास सर्जरी करवाते लोग दिखे तो मैंने उनकी कुंडली जानकर उन सभी तथ्यों की पुष्टि की जिनसे हृदय रोग की समस्या नहीं होनी चाहिए कुंडली में दोष होने के कारण फिर भी हो गई। 140 मरीजों में से 68 मरीजों ने कहा कि वह नियमित व्यायाम करते हैं खान-पान का ध्यान भी रखते हैं लेकिन फिर भी उन्हें इस रोग से जूझना पड़ा।
आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में और वास्तु शास्त्र में हृदय रोग से बचने के उपाय क्या है और यह क्यों होता है।

जन्म कुंडली के प्रथम भाव शरीर, चौथा व पांचवां छाती व हृदय का, छठा भाव रोग, ऋण व रिपु माना गया है। बारहवां भाव अस्पताल और व्यय का होता है। आठवां मृत्यु स्थान कहलाता है। यदि इन तीनों भावों को दशाएं एक साथ आ जाएं या गोचर में परस्पर संबंध बन जाएं तो समझें कि आपातकाल लागू होने वाला है या मृत्युतुल्य स्थिति बनने वाली है या कोर्ट-कचहरी, थाने व अस्पतालों की परिक्रमा के दिन आ गए हैं।
यदि जातक की कुंडली में लग्न में शुभ ग्रह है और लग्नेश बलवान है तो इस रोग की संभावना कम रहती है और पहले भाव में क्रूर ग्रह या मारकेश की दृष्टि या युति हो तो हृदय रोग की संभावना प्रबल रहती है। पहले भाव में ही सूर्य, मंगल, राहू, शनि ग्रहों की युति हो या दृष्टि हो या छठे भाव का स्वामी स्वयं लग्न में हो तो भी हृदय रोग संबंधी समस्याओं से बचना कठिन रहता है।
दिल के रोग का कारक ग्रह सूर्य है तो मंगल रक्त संचार को नियंत्रित करता है। शनि रोगों का द्योतक है।
षष्ठेष यदि किसी अन्य भाव से परिवर्तन योग बनाता है तो उस अंक की हानि करता है।
यदि सिंह, कन्या और वृश्चिक लग्न हो तो भी हृदय संबंधी रोग की आशंका रहती है।

सूर्य नीच राशि का या मंगल के साथ हो और प्रथम, चतुर्थ या दसवे भाव में विद्यमान हों। सूर्य-गुरु व शनि, मंगल, सूर्य शुक्र चतुर्थ में या राहू-केतु की दृष्टि हो तो भी हृदयाघात से जीवन डांवाडोल हो जाता है।
शनि-बुध की युति या इनकी दशा, दिल की नसें कमजोर करते हैं।
मेष लग्न में शनि, कर्क का षष्ठेश बुध और सूर्य पाप मध्य हो तो भी हृदय रोग होता है।
कुंडली में बहुत से ऐसे योग है जो कि लग्न के लिए अलग-अलग हैं परंतु मुख्यत: दिल की बीमारी सूर्य-शनि और दिल का दौरा शनि-मंगल देते हैं। आइए जानते विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु मनीष साईं जी के अनुसार ज्योतिष एवं वास्तु तथा तंत्र के उपाय इस रोग से बचने के लिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर की पूर्व दिशा में खाली जगह ना हो या फिर बरामदे के फ्लोर की ढलान पश्चिम दिशा की तरफ है तो इससे घर के हर सदस्य को हृदय रोग, आँखों के रोग या स्नायु रोग होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

▪ह्रदय रोग निवारण हेतु के लिए वास्तु नियम—

विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु  मनीष साईं के अनुसार रेमेडियल वास्तु में भी कुछ उपाय महत्वपूर्ण है  जोकि हृदय रोग से संबंधित  बीमारियों के लिए लाभदायक है आइए जानते हैं यह उपाय -

प्रातः काल उठने के बाद अपने सोने वाले पलंग क़ी साइड पर 3-4 बार दाए हाथ से हल्का सा थपथपाय इसे नो दिनों तक करे, पश्चात सकारात्मक भाव से प्रार्थना करे की मैं बहुत स्वस्थ हूं,मैं बहुत स्वस्थ हूं,मैं बहुत खुश हूं यह तीन बार बोलना है। सोने वाले कमरे क़ी उत्तर दिवार पर क्रिस्टल बॉल टांग दे और गेंदों के नीचे चारो दिशाओ में एक एक क्रिस्टल पिरामिड रख दे, यह जरूर ध्यान रखे घर मैं टूटी खिडकिया शीशे, आईने नही होने चाहिए, अगर ऐसा हो तो उन्हें भी बदल दीजिये, टूटे शीशे और खिडकियों को कभी भी न्यूज़पेपर या कागज या कपड़े से नहीं ढके। अच्छे और बेहतर स्वास्थ्य के लिए आप घर की पूर्व दिशा में कोई नल, हैंडपंप या पानी की टंकी रखवा दें। साथ ही पूर्व  दिशा की दीवार पर सूर्य यंत्र स्थापित करवाएं और दीवार के ऊपर लाल रंग का झंडा भी लगवा दें। घर कि पूर्व की दीवार बाकी दीवारों से नीचे और साफ़ सुथरी होनी चाहियें, तभी घर का हर सदस्य स्वस्थ रहेगा, घर में कभी धन की कमी नही होगी और परिवार का समाज में मान सम्मान बढेगा।

▪हृदय रोगों से मुक्ति के ज्योतिषी उपाय :

01-आप बाजार से पीला काशीफल खरीद लायें और फिर उसके बीज निकाल लें।अब आप किसी मंदिर में जाएँ और बीजों को प्रांगण में रख ईश्वर से प्रार्थना करें कि वो आपको और आपके परिवार को सदा स्वस्थ रखें। एक बात का ध्यान रखें कि ये उपाय आपको सूर्यास्त से पहले और सूर्योदय के बाद ही करना है। ये उपाय आपको ग्रहों के कुप्रभावों से मुक्त कराता है और शुभ ग्रहों को शक्तिशाली बनाकर हृदय रोगों को दूर रखता है।

02- सबसे पहले तो आप ये देखें कि रोगी के आसपास कितने लोग है, ऐसा इसलिए क्योकि आपको लोगों की संख्या से 4 रोटियाँ अधिक बनानी है, मतलब अगर 5 व्यक्ति है तो आपको 5+4=9 रोटियां बनानी और अगर 4 व्यक्ति है तो 4+4=8 रोटियां बनाएं. अब गुड की चाश्नी बना लें और उसमे आटा गुथें, फिर तंदूर में आधी पकी हुई रोटी लगाकर रोटियों को पकाएं। अब रोटियों को 2 बराबर हिस्सों में बाँटें और एक हिस्से को गाय को व दुसरे हिस्से हो कुत्तों को खिला आयें साथ ही आप ये भी प्रार्थना करें कि जल्द ही रोगी हृदय या अन्य किसी भी रोग से शीघ्र ही मुक्त हो जाए।

03- जातक रोज सूर्य को जल चढ़ावे। चन्द्रमा के मंत्रों का जाप करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। महामृत्युंजय का जाप करें।
 माता-पिता का पैर छूकर आशीर्वाद ले।

04-ह्रदय रोग दूर करने के लिये पानी का नारियल सिर से तीन बार उलटा घुमाकर सूर्य की ओर रोगी देखें व सामने देखें व सामने ही फोड़े दे।

05-बेलपत्र की जड़ रेशमी कपड़े में बांधकर रविवार को सूर्योदय के समय सूर्य मंत्र का जाप करते हुए दाहिनी भुजा में धारण करें।
मंत्र: गायत्री मंत्र का जाप करें
दान: सूर्य को नियमित जल, रोली का अर्ध्य करें।

06-जिस भी व्यक्ति को हृदय से संबंधी कोई भी रोग है उन्हें रात को सोने से पहले अपने सिर के नीचे एक सिक्का रखकर सोना है और अगले दिन पूरी श्रद्धा के साथ वो सिक्का  भंगी को दे देंना है। ये उपाय आप लगातार 43 दिनों तक अपनाएँ।आप खुद को पहले से कहीं अधिक स्वस्थ महसूस करोगे और आपका हर रोग दूर होगा।

07-आप दो 5 मुखी रुद्राक्ष की माला बनवाएं, उनमे से एक को तो अपने गले में धारण करें और दूसरी के साथ 1 लाल हकिक पत्थर, 8 लाल मिर्च और ½ मीटर लाल कपड़ा ले और सारी सामग्रियों को अपने सिर से 3 बार वारकर किसी नदी में बहा आयें। ये उपाय आपको रविवार के दिन अपनाना है।

08-हार्ट अटैक दूर करने के लिये। हृदय होग निवारण (दूर) के लिये माणिक्य RING FINGER में दांये हाथ में तथा पन्ना 6 रत्ती का लाकेट बनाकर गले में बुधवार को धारण करें। मानसिक बीमारियां भी ठीक हो जाएगी।

09-हृदय रोग दूर कनरे के लिए। हृदय रोग निवारण के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें। पांच मुखी रुद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक पत्थर, ½ मीटर लाल कपड़ा, 8 लाल मिर्चें-इन सबकों कपड़े में रखकर रोगी के सिर से तीन बार घुमाकर बहते पानी में रविवार को वहा दें।

⚫ यदि आपका घर वास्तु के हिसाब से नहीं बना है तो तमाम तरह की समस्याएं बनी रहेगी जैसे कि  धन, स्वास्थ्य, व्यापार, करियर, आपसी मनमुटाव जैसी समस्याएं। विश्व प्रसिद्ध वास्तु, ज्योतिष एवं तंत्र गुरु मनीष साईं जी से आप अपने घर का वास्तु ठीक करवा सकते हैं। वास्तु विजिट भी करवा सकते हैं,तथा वास्तु परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं। आप ज्योतिष एवं तंत्र संबंधी परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं।

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