उद्योग लगातार घाटे में ?, करें यह उपाय बढ़ेगा व्यापार, बड़ेगी पूंजी -मनीष साईं

उद्योग लगातार घाटे में ?, करें यह उपाय बढ़ेगा व्यापार, बड़ेगी पूंजी -मनीष साईं


आपका उद्योग उत्पादन तो करता है लेकिन लाभ नहीं होता?उद्योग में कर्मचारी काम छोड़कर भाग जाते हैं?,लगातार घाटा हो रहा है कर्ज दिनों दिन बढ़ रहा है ?,आप मानसिक तनाव से घिरे हुए हैं?, कहीं ऐसा तो नहीं वास्तुदोष के कारण यह सब परेशानी आपको आ रही है। यदि वास्तु दोष के कारण परेशानी आ रही है तो रेमेडियल वास्तु अनुसार  51 उपाय इन्हें आप ध्यान से पढ़े और यदि उद्योग के लिए जो वास्तु के नियम है वह पूर्ण नहीं हो रहे हैं तो तत्काल हमारे संस्थान के नंबर पर संपर्क करें। निश्चित तौर पर उद्योग का वास्तु ठीक करने के बाद आप को सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। जाने वास्तु के उद्योग के लिए क्या नियम है-


🔸 1. धन समृद्धि और उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर-पूर्व में फव्वारे ,पानी के तालाब आदि बनाये।


🔸2. फैक्ट्री में यदि भूखंड का ढलान उत्तर-पूर्व की और हो तथा बारिश का पानी भूखंड के उत्तर-पूर्वी भाग के और बहता हो तो निर्मित उत्त्पादो की गुणवत्ता बढ़ जाएगी।


🔸3. फैक्टरी का उत्तरी कोना साफ़-सुथरा रखे तथा छोटे आकार के गमले लगाकर या उद्यान लगाकर इसे खूबसूरत बनाया जा सकता है। यह जितना साफ रहेगा उतनी धन वृद्धि होगी।


🔸4. फैक्टरी का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर या उत्तर-पूर्व तथा शुभ पदों में होना चाहिए और अत्यंत आकर्षक कारी होना चाहिए।


🔸5. फैक्ट्री में जो भी माल के नमूने या स्टॉक उत्तर-पश्चिम दिशा में रखे जाएँ। इससे तैयार उत्त्पादों की तीव्र गति से आवाजाही और धन के निर्बाध आगम में सहायता मिलेगी।


🔸6. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि फैक्टरी के गेट और दरवाजे जीर्ण-शीर्ण अवस्था में बिना पेंट-पोलिश के नहीं होने चाहिए।


🔸7. सबसे ज्यादा जरूरी है स्थायित्व और इसके लिए यह बात ध्यान रखना जरूरी है कि दक्षिण , पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम भाग उन्नत होने से कारोबार में स्थिरता और सभी कर्मचारियों का स्वास्थ्य उत्तम होगा।

🔸8. उद्योग में मशीनों कीं मरम्मत के लिए वर्कशॉप पश्चिम ,पूर्व या दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए।


🔸9. असेम्बलिंग तथा पैकिंग की इकाइयां उत्तर ,पूर्व या वायव्य में होना चाहिए ।


🔸10. अनुसन्धान और विकास इकाईयां या नए उत्त्पाद विकसित करने वाले विभाग पूर्व या उत्तर में होना चाहिए।

🔸11. मुत्रालय एवं शौचालय दक्षिण पश्चिम के मध्य या पश्चिम-दक्षिण के मध्य या उतर पष्चिम के मध्य के किसी स्थान पर बनाना चाहिए ।


🔸12. किसी भी प्रकार के Beam के नीचे मशीने न लगायें।


🔸13. धात्विक उत्त्पादों के सन्दर्भ में उत्त्पादन प्रवाह पश्चिम से पूर्व की और होना चाहिए तथा धातु से अलग उत्त्पादों के सम्बन्ध में दक्षिण से उत्तर की और होना चाहिए।


🔸14. सुरक्षा स्टाफ का मुख पूर्व या उत्तर की और होना चाहिए।


🔸15. कूड़ा-करकट या जंक पदार्थ मुख्य द्वार से नजर नहीं आने चाहिए। भूखंड के उत्तरी-पूर्वी हिस्से में साफ़-सफाई और उत्तम प्रकाश व्यवस्था किसी भी उद्योग की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।


🔸16. सफाई और उत्तम प्रकाश व्यवस्था के नियम सभी कार्य छेत्रों/स्टाफ छेत्रों  पर लागु होते हैं क्योंकि इससे सकरात्मक सोच और कार्यक्षमता में वृद्धि होती हैं।

🔸17. यह ध्यान रखें कि उद्योग परिसर में गंदा पानी कहीं एकत्र नहीं होना चाहिए। बाहर गन्दा पानी भवन की संपति नष्ट कर सकता है।


🔸18.नियोक्ता और कर्मचारी के बीच सम्बन्ध बेहतर बनाये रखने के लिए उचित होगा कि भूखंड के ईशान कोण में या मध्य भाग में मंदिर या योग, ध्यान एवं प्रार्थना केंद्र बनाया जाये। स्टॉफ के सभी सदस्य ,मजदूर और कार्यपालक बिना किसी भेदभाव के यहाँ ध्यान -अर्चना कर इस स्थान की सकरात्मक ऊर्जा को ग्रहण करें। इससे प्रबंधक वर्ग और कर्मचारियों की आपस की दूरी खत्म हो परस्पर सहयोग और सदभावना के भावना जाग्रत होती है जो कि सफलता का मूलमंत्र है।


🔸19. कूड़ा-कबाड़ा ,अनावश्यक और अनुपयोगी चीजें फैक्ट्री परिसर से हटाते रहें। साल में एक बार के बजाये समय -समय पर रद्दी सामान हटा या बेच देना चाहिए।


🔸20. मशीनों के अत्यधिक शोर के कारण कर्मचारियों में तनाव बढ़ता है उसे खत्म करने के लिए उद्योग में Swift वाइस कार्य प्रारंभ होने के पूर्व सामूहिक प्रार्थना करें तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते रहे तथा अन्य प्रतियोगिता में भी आयोजित की जा सकती है जिससे कर्मचारियों में तनाव खत्म होगा।


🔸21.फैक्ट्री का विन्यास सुव्यवस्थित होना चाहिए। गलियारे काफी चौड़े बनाये जाएँ ताकि ट्रॉली और सामान आसानी से लाया ले जाया जा  सकें। टी जंक्सन पर कोई मशीन न रखी जाये ना ही वहां कोई कामगार कार्य करें।


🔸22. उद्योग परिसर में जहां भी आपने निर्माण किया है वह बड़े-बड़े रोशनदान और खुलापन रखें। पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश  माहौल को सुखद और सकारात्मक बनाता है।


🔸23. व्यापार में सफलता के लिए उद्योगपति की  कुंडली मिलान एवं घर का वास्तु भी बहुत महत्व रखता है अततः सफलता के लिए आवश्यक है की उद्यमी यह भी सुनिश्चित करें कि उनके घर का वास्तु उचित है या नहीं ,क्योंकि घर वह स्थान है जहाँ पर व्यक्तिगत ऊर्जा शक्ति को आवेशित किया जा सकता है,वास्तु पर आधारित घर इष्टतम स्तर तक सकरात्मक ऊर्जा प्रदान करता है जिससे हम सर्वोत्तम ढंग से अपनी सामाजिक व्यावसायिक और वैयक्तिक जिम्मेदारियों तथा दायित्वों को पूरा कर पाते हैं।

🔸24. फैक्ट्री में स्वागत कक्ष ईशान कोन (उतर-पूर्व व पूर्व दिशा) के मध्य का स्थान में होना चाहिए।


🔸25. उद्योग परिसर में छत पर जल कि व्यवस्था करने के लिए टंकियां दक्षिण पश्चिम के मध्य पश्चिम या उतर-पश्चिम कि ओर रखना चाहिए।


🔸26. वाहन पार्किंग की जगह फैक्ट्री के मुख्य गेट के पास बनायेें।


🔸27. उद्योग परिसर में वित्तीय लेनदेन का कक्ष उतर-पूर्व या पूर्व-दक्षिण के सेन्टर में होना चाहिए ।


🔸28.उघोग या भवन की छत की ढलान ईशान कोण (उत्तर-पूर्व )की तरफ होनी चाहिए।


🔸29. यदि फैक्ट्री भवन में आवश्यकतानुसार चारों दिशाओं में नल लगे हो तो गंभीर वास्तु दोष होता है ऐसे में ईशान कौण में जल का टैंक बनाकर पानी की सप्लाई कर दी जाये तो इस दोष की निवृति हो जाती है।


🔸30. उद्योग परिसर में  सर्वेंट क्वार्टर सदैव वायव्य कोण या अग्नि कोण में होना चाहिए।


🔸31. फैक्ट्री मालिक, प्रबंध संचालक, डायरेक्टर का कक्ष हमेशा नैऋत्य कोण (South West) में होना चाहिए. इससे पुरे स्टाफ पर उनका नियंत्रण रहेगा।


🔸32. उद्योग, कारखाने या व्यवसाय आदि में कम से कम एक बार शतचंडी का पाठ करवाने से व्यापार में बढ़ोतरी होती है और माँ की कृपा से सारे विध्न दूर हो जाते है माँ सम्पूर्ण भण्डार भर देती है।


🔸33. फैक्ट्री मालिक को रिवॉल्विंग चेयर पर नहीं बैठना चाहिए।


🔸34. फैक्ट्री मालिक की कुर्सी आगंतुकों की कुर्सी से हमेशा ऊंची होना चाहिए।


🔸35. फैक्ट्री परिसर में उद्योग से संबंधित कर्मचारियों का तनाव खत्म करने के लिए हल्के से म्यूजिक का प्रयोग करना चाहिए।

🔸36. उद्योग मालिक के कक्ष में दक्षिण पश्चिम में फैक्ट्री के सभी कर्मचारियों के साथ ग्रुप फोटो लगाने से उद्योग मालिक एवं कर्मचारियों के बीच आपसी संबंध गहरे स्थापित होते हैं।

🔸37. उद्योग परिसर में शौचालय बनाना ठीक नहीं होता है यदि बना है तो उसमें खड़ा नमक भरकर रखें तथा एमेथिस्ट पेंसिल मलिन यंत्र लाइट के नीचे बांधे।

🔸38. उद्योग परिसर यदि टी कॉर्नर पर हो तो एक बड़ा कॉन्वेक्स मिरर परिसर के बाहर मेन गेट के ऊपर लगाएं।

🔸39. फैक्ट्री के समस्त वास्तु दोष दूर करने के लिए दिशा संतुलन ग्रीड की स्थापना करें।

🔸40. यदि उद्योग पर कोई कर्ज है तो कर्ज से संबंधित कागजात उत्तर पूर्व में भगवान का मंदिर बनाकर उसमें रखें कर्ज उतरेगा।

🔸41. यदि नवीन उद्योग बना रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि जो भी फर्नीचर बनाए वह नुकीला ना हो ओवल शेप में फर्नीचर होना चाहिए।

🔸42. उद्योग परिसर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए यज्ञशाला की स्थापना करें प्रतिदिन सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय साई अग्नि यज्ञ करें।

🔸43. व्यापार वृद्धि यंत्र जो कि सात प्रकार के क्रिस्टल से बना होता है उसे पूजा स्थल पर रखें।

🔸44. यदि फैक्टरी का मुख्य द्वार दक्षिण या दक्षिण पश्चिम में है तो यह एक गंभीर वास्तु दोष है।मुख्यद्वार द्वार के पास हनुमान जी का मंदिर बनाएं।

🔸45. उद्योग परिसर में जो भी साइन बोर्ड आपका लगा है यह ध्यान रखें कि वह लाल कलर के अक्षरों में होगा तो यस और प्रसिद्धि बढ़ेगी।

🔸46. उद्योग परिसर के सामने कोई ऊंची बिल्डिंग हो तो यह गंभीर वास्तु दोष है उसे खत्म करने के लिए एक बड़ा कॉन्वेक्स मिरर मुख्य द्वार पर लगाएं तथा लाल कलर का झंडा परिसर की छत पर लगाएं।

🔸47. उद्योग परिसर में जो भी शौचालय बनाए यह ध्यान रखें कि उसमें दरवाजा जरूर होना चाहिए कई उद्योग परिसरों में कर्मचारियों के लिए जो शौचालय बनाए जाते हैं यानी मूत्रालय उसमें दरवाजा नहीं होता है।

🔸48. यह ध्यान रखें निर्माण के समय तीन दरवाजे एक सीध में नहीं होना चाहिए।

🔸49. दरवाजे की ओर मुंह करके बैठने से कार्य शीघ्र होता है यह ध्यान रखें आपका चेहरा उत्तर या उत्तर पूर्व की ओर होना चाहिए।

🔸50. ऑफिस की टेबल पर ताजे फूलों का गुलदस्ता रखें मुरझाए हुए फूल अतिशीघ्र बदल दें।

🔸51. टेबल पर लैंप रखने से नाम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।


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